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कालाधन पर जी-20 में मोदी को बड़ी सफलता...

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ब्रिस्बेन , रविवार, 16 नवंबर 2014 (15:22 IST)
ब्रिस्बेन। कालेधन के मुद्दे पर भारत को जी-20 शिखर सम्मेलन में बड़ी सफलता मिली है। जी-20 ने विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जोरदार वकालत का समर्थन किया। शिखर सम्मेलन में इसके लिए सरकार की सोच पर ही आगे बढ़ते हुए पारदर्शिता और कर सूचनाओं के खुलासे पर जोर दिया गया।
कर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के वैश्विक मानदंडों का समर्थन करते हुए मोदी ने रविवार को कर चोरों की पनाहगाह माने जाने वाले देशों समेत सभी देशों से संधियों में की गई प्रतिबद्धताओं के अनुसार, कर उद्देश्यों के लिए सूचनाएं मुहैया कराने को कहा।
 
मोदी ने जी-20 के मंच पर कहा कि कर संबंधी सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के नए वैश्विक मानक विदेशों में जमा कालेधन के बारे में जानकारी हासिल करने और उसे वापस लाने में कारगर होंगे। जी-20 का दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 85 प्रतिशत हिस्सा है।
 
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पूंजी और प्रौद्योगिकी की आवाजाही बढ़ने से कर अपवंचना तथा मुनाफा इधर-उधर करने की नई संभावनाएं पैदा हुई हैं। दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के 2 दिन के यहां आयोजित शिखर सम्मेलन के बाद 3 पृष्ठ का वक्तव्य जारी किया गया।
 
बयान में अंतरराष्ट्रीय कर नियमों को आधुनिक बनाने के लिए जी-20-ओईसीडी की कार्रवाई योजना में हुई उल्लेखनीय प्रगति का स्वागत किया गया। यह योजना कर आधार घटने और मुनाफे के स्थानांतरण (बीईपीएस) पर है। ‘हम इस कार्य को 2015 तक अंतिम रूप देने को प्रतिबद्ध हैं। इसमें करदाता से जुड़े उन विशिष्ट नियमों में भी पारदर्शिता लाई जाएगी, जो कि कर जुटाने के लिहाज से नुकसानदायक साबित हो रहे हैं।’
 
बाद में मीडिया से बातचीत में रेलमंत्री सुरेश प्रभु व विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि बयान के मसौदे में पारदर्शिता का उल्लेख नहीं था। रविवार को पूर्ण सत्र के दौरान इस बारे में प्रधानमंत्री के मजबूत हस्तक्षेप के बाद अंतिम वक्तव्य में इसे जोड़ा गया है।
 
अकबरुद्दीन ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के मजबूत हस्तक्षेप के बाद और देशों- ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी चाहते थे कि अंतिम बयान में पारदर्शिता को जोड़ा जाए।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा मजबूती से कालेधन को वापस लाने के मुद्दे पर अपना रुख रखने के बाद कई देशों ने उनके विचारों से सहमति जताई। इन देशों का मानना था कि मोदी के विचारों की झलक अंतिम बयान में दिखनी चाहिए। (भाषा) 

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