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मुल्ला उमर की मौत के बाद खुला यह राज

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न्यूयॉर्क , शुक्रवार, 31 जुलाई 2015 (17:19 IST)
न्यूयॉर्क। तालिबान का नया प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर संभवत: मुल्ला मुहम्मद उमर के नाम से पिछले 2 साल से आदेश और संदेश जारी कर अपने साथी उग्रवादियों को झांसा दे रहा था जबकि उसे पता था कि 2013 में ही उमर की मौत हो गई थी।
 
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुल्ला उमर के पैमाने पर भी अंतिम वर्षों में उसका पकड़ में न आना गजब का है। तालिबान के शीर्ष स्तर के कुछ लोगों की ही उस तक पहुंच थी और 2013 के मध्य तक यह संख्या घटकर बस एक मुल्ला अख्तर मंसूर हो गई, नंबर दो का दर्जा रखने वाला।

इसमें कहा गया है कि अफगान और अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने संकेत दिया था कि मुल्ला उमर की संभवत: 2013 में मौत हो गई थी।
 
अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि इसका मतलब है कि हो सकता है कि मुल्ला मंसूर ने शायद अपने साथियों को पिछले 2 साल में मुल्ला उमर के आदेश और संदेश पर झांसा दिया हो। मुल्ला मंसूर के बयानों से मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब और उसके भाई मुल्ला अब्दुल मन्नान को संदेह हुआ।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले मुल्ला उमर तक दोनों की पहुंच थी। उन्होंने लोगों से कहना शुरू किया कि उनका मानना है कि उमर की मौत हो जाने के कारण शायद उन्हें उमर से दूर रखा जा रहा है।
 
अफगान अधिकारियों ने यह भी कहा कि उन्हें लंबे समय तक तालिबान को पनाह देने वाले और उसके मददगार पाकिस्तान से कोई मदद नहीं मिली। खबर में उल्लेख किया गया कि मुल्ला उमर ने अपने जीवन का अंतिम साल बेहद गुमनामी में गुजारा और तालिबान के नेताओं के बीच इस पर चर्चा जोर पकड़ने के बाद ही उसकी मौत की पुष्टि की गई।
 
पाकिस्तान के कराची में एक अस्पताल में मुल्ला उमर की मौत की चर्चा के साथ शीर्ष तालिबान नेताओं के साथ जुड़े एक अफगान ने 2014 की सर्दियों में अफगानिस्तान की खुफिया सेवा से संपर्क किया। इस सूचना से खुफिया सेवा, राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय में रहस्य गहरा गया और इस पर से पर्दा उठने में 18 महीने लग गए।
 
मुल्ला उमर की मौत का पता लगाने में इतना लंबा वक्त क्यों लग गया? इस पर अमेरिकी और अफगान अधिकारियों ने कहा कि भले ही वह दुनिया का सबसे वांछित हो और उस पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा गया हो लेकिन 2014 तक अफगानिस्तान के बाहर उसके बारे में कुछ लोगों ने ही यह जानने के लिए प्रयास किया था कि वह जिंदा है या मर गया?
 
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि बहुत पहले से उन्हें यकीन था कि चरमपंथ में मुल्ला उमर की भूमिका मुख्य रूप से मजहबी थी और तालिबान के ढांचे पर उसका ज्यादा नियंत्रण नहीं है। (भाषा) 
 

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