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नरेन्द्र मोदी ने दी नेपाल को नसीहत...

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, मंगलवार, 25 नवंबर 2014 (22:52 IST)
काठमांडू। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नेपाल की सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की और नेपाल के संविधान के समय पर तैयार होने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश ‘मुश्किलों’ में पड़ जाएगा। मोदी ने राजनीतिक दलों में आम सहमति से संविधान को समय पर तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेर बहादुर देउबा, पार्टी महासचिव कृष्ण सितौला, माओवादी अध्यक्ष प्रचंड, पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबू राम भट्टाराई, सीपीएन.यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली, वरिष्ठ नेता झालानाथ खनल, उप प्रधानमंत्री और वरिष्ठ यूएमएल नेता बामदेव गौतम के साथ मुलाकात की और देश के ताजा राजनीतिक हालात पर बात की।
 
बैठक के बाद नेपाल कांग्रेस के महासचिव कृष्ण सितौला ने कहा, ‘मोदी ने राजनीतिक आम सहमति से संविधान तैयार करने की सलाह दी और हमारी पार्टी ने इस दिशा में प्रयास शुरू भी कर दिए हैं।’ उन्होंने पत्रकारों को बताया कि मोदी इस बात को लेकर फिक्रमंद थे कि संविधान समय पर राजनीतिक दलों की सहमति से तैयार हो।
 
सीपीएन.यूएमएल झालानाथ खनल ने कहा कि मोदी ने संविधान तैयार करने में हो रही देरी पर चिंता जताई और संविधान तैयार करने में भारत के अनुभव का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रक्रिया में और देरी हुई तो समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
 
खनल के अनुसार मोदी ने कहा, ‘अच्छा होगा कि संविधान तैयार करने में पूरा देश एकजुट हो।’ नेपाली कांग्रेस के उप महासचिव पूर्ण खडका ने कहा, ‘‘मोदी ने संविधान की विषय वस्तु के बारे में जानना चाहा और हमने उन्हें बताया कि हम संसदीय प्रणाली पर आधारित एक लोकतांत्रिक संविधान तैयार करने के प्रति कटिबद्ध हैं।’’ एकीकृत सीपीएन.माओवादी के प्रवक्ता कृष्ण बहादुर म्हारा ने बैठक के बाद कहा, ‘‘मोदी ने संविधान को आम सहमति से तैयार करने पर जोर दिया।
 
उन्होंने मोदी के हवाले से कहा, ‘संविधान आम सहमति से ही तैयार किया जाना चाहिए।’ माओवादी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी मोदी द्वारा संविधान तैयार करने में आम सहमति पर जोर देने से उत्साहित हैं।
 
प्रधानमंत्री ने मधेसी नेताओं जिनमें मधेसी पीपुल्स फोरम डेमोक्रेटिक के अध्यक्ष बिजय गछधर, तराई मधेस डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष महंत ठाकुर और सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष राजेन्द्र महतो शामिल हैं, से मुलाकात कर मौजूदा राजनीतिक स्थिति और संविधान पर विचार किया।
 
विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान मोदी के हवाले से बताया कि नेपाली नेताओं के साथ मुलाकात में मोदी ने कहा कि वह नेपाल से फोन पर यह सुनना चाहते हैं कि संविधान तैयार है और भारत को इस पर नेपाल को बधाई देते हुए खुशी होगी।
 
मोदी ने काठमांडू के बीर अस्पताल में भारत द्वारा बनाए गए ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘मैं सभी राजनीतिक पक्षों से आग्रह करता हूं कि आम सहमति के जरिए अगले वर्ष के शुरू तक संविधान तैयार करें, जिसमें सभी समुदायों, मधेशियां, पहाड़ियों और माओवादियों की आकांक्षाएं प्रतिबिंबित हों..ऐसा करने में असफल रहने पर नेपाल के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं और इस क्षेत्र में आपकी मदद करने की हमारी विशेषज्ञता के बावजूद यह दुख का विषय होगा।’ 
 
उन्होंने कहा कि भारत दखल नहीं देना चाहता, लेकिन विशेषज्ञता होने के बावजूद नेपाल को मुश्किल में पड़ने से न बचा पाने का दु:ख होगा। मोदी की इस टिप्पणी से पहले नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने विश्वास व्यक्त किया था कि नेपाल अगले वर्ष की शुरूआत तक अपना संविधान तैयार करने में सक्षम होगा। मोदी ने संविधान तैयार करते समय ‘‘रिषि मन’’ की हिमायत की और ‘युद्ध से बुद्ध’ की भावना के अनुसरण पर जोर दिया।
 
हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत नेपाल के अंदरुनी मामले में दखल नहीं देना चाहता, लेकिन हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। नेपाल के राजनीतिक दलों में गंभीर राजनीतिक मतभेद होने के कारण देश के नये संविधान का निर्माण नहीं हो पा रहा था, लेकिन इस दिशा में गहन विचार विमर्श के बाद अब संविधान का पहला मसौदा 22 जनवरी 2014 तक तैयार करने पर सहमति बनी है।
 
पिछली संविधान सभा को भंग कर दिया गया था, क्योंकि वह बहुत से प्रमुख मामलों पर विवादों को हल नहीं कर पाई। मोदी ने कहा, ‘विश्वास और भरोसे के इंजन ने भारत और नेपाल के संबंधों को गति दी है।’ उन्होंने कहा कि पहले एक फैसले को लागू करने में दस बरस लगते थे, अब एक के बाद एक फैसले लागू किए जा रहे हैं।
 
इस संदर्भ में उन्होंने विभिन्न पनबिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन का जिक्र किया। भारत द्वारा कई छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण सहयोग पहलों की घोषणा करते हुए मोदी ने सचल मृदा जांच प्रयोगशाला और युवा प्रतिनिधियों के आवागमन का जिक्र किया।
 
प्रधानमंत्री ने बताया कि अपनी पिछली यात्रा में उन्होंने जो वादा किया था, उसके अंतर्गत भारत को ई-लाइब्रेरी की स्थापना के संबंध में सुझाव मिले हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है। उन्होंने बेहतर संपर्क के लिए दोनो देशों के बीच राजमार्गों के निर्माण की वकालत की और इस संदर्भ में कहा, ‘हम नेपाल के लिए ई.वे के साथ ही हाईवे का भी निर्माण करेंगे।’ (भाषा)

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