Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

साझा संपादकीय, क्या लिखा मोदी-ओबामा ने

हमें फॉलो करें साझा संपादकीय, क्या लिखा मोदी-ओबामा ने
, मंगलवार, 30 सितम्बर 2014 (19:25 IST)
वॉशिंगटन। यूं तो नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा काफी सुर्खियों में हैं, लेकिन अमेरिका के एक बड़े अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में यूएस राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साझा संपादकीय भी प्रकाशित हुआ है। 
 
दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका और सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के राष्ट्र प्रमुखों के संयुक्त नाम से छपे इस संपादकीय के जानकार कई अर्थ लगा रहे हैं। इसमें कहा गया है कि 21वीं सदी में दोनों देश साथ साथ चलेंगे साथ आंतरिक सुरक्षा के लिए जानकारियां भी साझा करेंगे। 
 
इस लेख में मोदी और ओबामा ने कहा है कि भारत और अमेरिका के साझा हित हैं। दोनों ने ही इसमें दावा किया है कि भारत और अमेरिका की साझेदारी दुनिया को सालों तक शांति देगी। इसमें कहा गया है कि भारत को हरित क्रांति में अमेरिकी सहयोग याद है। अमेरिका ने भारत के स्वच्छता अभियान के प्रति भी समर्थन जाहिर किया है। साथ ही कहा है कि इबोला और कैंसर से निपटने के लिए भी आपसी सहयोग जरूरी है। 

संपादकीय पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
 
 
लोकतंत्र, स्वतंत्रता, विविधता और उद्यमिता के लिए प्रतिबद्ध राष्ट्र के तौर पर भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका अपने साझा मूल्यों और पारस्परिक हितों से बंधे हुए हैं। दोनों राष्ट्र पारस्परिक रूप से अपने सम्मिलित प्रयासों और विशिष्ट सहभागिता के माध्यम से मानव इतिहास के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं और उसे नया आकार देना चाहते हैं ताकि आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को स्थापित करने में मदद मिले। अमेरिका और भारत के बीच संबंधों की जड़ें न्याय और समानता के लक्ष्य के लिए दोनों देशों के नागरिकों की साझा आकांक्षाओं से जुड़ी हुई हैं। स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में हिंदुत्व को एक वैश्विक धर्म के रूप में प्रस्तुत किया था,जबकि मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने भेदभाव के अंत और अफ्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिकों के प्रति पूर्वाग्रहों को खत्म करने के लिए महात्मा गांधी द्वारा दिए गए अहिंसा के उपदेशों से प्रभावित और प्रेरित होकर सामाजिक चेतना उत्पन्न की थी। गांधीजी स्वयं हेनरी डेविड थोरो के विचारों से बहुत प्रभावित थे।
 
इस तरह से देखा जाए तो राष्ट्रों के रूप में दशकों से हमारे बीच साझेदारी रही है ताकि आम जनता के विकास को सुनिश्चित किया जा सके। भारतवासियों को दोनों देशों के बीच सहयोग की मजबूत नींव याद होगी। हरित क्रांति से खाद्यान्न उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसी अनेक उपलब्धियां हमारे बीच परस्पर सहयोग से ही आकार ले सकीं।
 
आज हमारी यह सहभागिता कहीं अधिक मजबूत, विश्वसनीय और स्थायी है, जो कि निरंतर बढ़ रही है। पहले की अपेक्षा आज द्विपक्षीय सहभगिता के माध्यम से दोनों देशों के बीच कहीं अधिक सहयोग है। यह सहयोग न केवल संघीय स्तर पर है, बल्कि राज्य और स्थानीय स्तर पर भी है। दोनों देशों की सेनाओं, निजी क्षेत्रों, सिविल सोसायटी के स्तर पर भी हम परस्पर सहयोगकर रहे हैं। वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने घोषित किया था कि हम स्वाभाविक सहयोगी राष्ट्र हैं। उसके बाद के तमाम वर्षों में हमारे बीच परस्पर सहयोग निरंतर बढ़ा है। शोध परियोजनाओं पर दोनों देशों के छात्र मिलकर काम कर रहे हैं, हमारे वैज्ञानिक अत्याधुनिक तकनीकों का विकास कर रहे हैं और वैश्विक मुद्दों पर वरिष्ठ अधिकारी निकट संबंध बनाकर काम कर रहे हैं। हमारी सेनाएं वायु, जमीन और समुद्र में एक-दूसरे के साथ संयुक्त अभ्यास कर रही हैं और अंतरिक्ष परियोजनाओं में विभिन्न क्षेत्रों में हम परस्पर सहयोग कर रहे हैं। इस तरह धरती से लेकर मंगल ग्रह तक हमारे बीच सहभागिता है। इस तरह के सहयोग से भारतीय-अमेरिकी समुदाय काफी उत्साहित है और वह दोनों देशों के बीच सेतु का काम कर रहा है। हमारी यह सफलता एक-दूसरे पर विश्वास और 
अमेरिका के स्वतंत्र सामाजिक मूल्यों को दर्शाती है और यही हमारी वह मजबूती है, जिसके बल पर हम मिलकर कुछ भी कर सकते हैं।
 
लेकिन दोनों देशों के बीच वास्तविक क्षमता का अहसास होना अभी शेष है। भारत में नई सरकार का आगमन हमारेलिए एक स्वाभाविक अवसर है, जिसके माध्यम से हम अपने संबंधों को और अधिक विस्तृत तथा मजबूत बना सकते हैं। हमारे बीच एक नया विश्वास बहाल हुआ है। हमें अपने परंपरागत लक्ष्यों से आगे जाना होगा। यह समय एक नए एजेंडे को निर्धारित करने का है, ताकि हमारे नागरिकों को इसके वास्तविक लाभ मिल सकें। यह एक ऐसा एजेंडा है, जो हमें पारस्परिक रूप से लाभान्वित करेगा और 
हमारे बीच व्यापार, निवेश और तकनीक संबंधी सहयोग बढ़ेगा और इससे भारत को अपने विकास में मदद मिलेगी। इसके साथ ही अमेरिका खुद को विकास का वैश्विक इंजिन बनाए रख सकेगा।
 
हम वॉशिंगटन में अपनी मुलाकात के दौरान न केवल तमाम मुद्दों पर बात करेंगे, बल्कि इस पर भी विचार करेंगे कि किस तरह भारत में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को गति दी जा सकती है और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हम किस तरह से सहयोग बढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त हमें अपने पर्यावरण के साझा भविष्य और उसकी सुरक्षा को लेकर भी विचार करना होगा। हम उन रास्तों पर विचार करेंगे, जिन पर हमारे उद्योग घराने, वैज्ञानिक और सरकारें मिलकर आगे बढ़ सकें। भारत बुनियादी सुविधाओं की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उपलब्धता में सुधार के लिए काम कर रहा है, खासतौर पर गरीब तबके के लिए। इस कोशिश में सहयोग देने के लिए अमेरिका हरदम तैयार है। ठोस सहयोग का एक ऐसा ही क्षेत्र है भारत में शुरू होने वाला क्लीन इंडिया अभियान, जिसमें हम निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के कौशल और प्रौद्योगिकी का उपयोग करेंगे, ताकि भारत में स्वच्छता की स्थिति में सुधार आ सके।
 
हमारे साझा प्रयासों से हमारे अपने लोगों को ही लाभ होगा। हमारी साझेदारी का स्वरूप टुकड़ों-टुकड़ों में न होकर वृहत्तर होगा। एक राष्ट्र और उसकी जनता के रूप में हम सबके बेहतर भविष्य के लिए प्रयासरत हैं। इसी क्रम में हमारी सामरिक साझेदारी का भविष्य में पूरे विश्व को लाभ मिलेगा। जहां भारत को अमेरिकी निवेश और तकनीकी साझेदारियों से लाभ हुआ, वहीं अमेरिका को मजबूत, अधिक समृद्ध भारत से लाभ होता है। हमारी मित्रता से जो स्थिरता और सुरक्षा पैदा होती है, उससे दोनों देशों के साथ-साथ पूरे विश्व को फायदा पहुंचता है। हम दक्षिण एशिया को विश्व से जोड़ने का भरपूर प्रयास करने को कटिबद्ध हैं। हम दक्षिण एशिया को मध्य व दक्षिण पूर्व एशिया के बाजार व लोगों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
 
वैश्विक साझेदार के तौर पर हम खुफिया सूचनाओं को साझा करके, आतंकरोधी तंत्र मजबूत करके, कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग से अपनी घरेलू सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वचनबद्ध हैं। इसके अलावा समुद्र में नौवहन और व्यापारिक गतिविधियां की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारा गठबंधन कठिन से कठिन चुनौतियों से निपटने में कारगर होगा। इबोला, कैंसर के क्षेत्र में शोध, टीबी, मलेरिया और डेंगू आदि रोगों से हम मिलकर लड़ेंगे। हम महिलाओं के सशक्तीकरण में सहयोग की परंपरा का विस्तार करेंगे और अफगानिस्तान व अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार करेंगे और क्षमताओं को बढ़ाएंगे।
 
अंतरिक्ष के अन्वेषण में हम कल्पनाओं की उड़ान को हकीकत में बदलेंगे और अपनी आकांक्षाओं को ऊपर उठाने की खुद को चुनौती देंगे। दोनों देशों का मंगल तक पहुंचना पूरी कहानी बयान कर देता है। बेहतर भविष्य का वादा केवल अमेरिकियों और भारतीयों तक सीमित नहीं है। यह बेहतर विश्व के निर्माण के लिएदोनों देशों के साथ मिलकर आगे बढ़ने की ओर भी इशारा कर रहा है। 21वीं सदी के लिए हमारी साझेदारी को परिभाषित करने का आधार वाक्य है : 'चलें साथ-साथ।'

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi