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भूकंप प्रभावित नेपाल में फंसे हैं सैकड़ों विदेशी

हमें फॉलो करें भूकंप प्रभावित नेपाल में फंसे हैं सैकड़ों विदेशी
काठमांडू , शनिवार, 2 मई 2015 (18:19 IST)
काठमांडू। नेपाल में विनाशकारी भूकंप आने के एक सप्ताह बाद भी कम से कम 1000 कनाडाई सहित बड़ी संख्या में कई देशों के नागरिक देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं।
7 विश्व धरोहर स्थलों का केंद्र काठमांडू घाटी विदेशी पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थल है। इस साल 25 अप्रैल को 7.9 तीव्रता के भूकंप ने इस घाटी को बहुत नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा नीदरलैंड्स और  इसराइल सहित कई देशों के नागरिक भी फंसे हुए हैं। नेपाल से लोगों को निकालने में जुटी निजी एयरलाइन स्पाइसजेट के अनुसार करीब 1000 कनाडाई नागरिक नेपाल में फंसे हुए हैं, जो ट्रेकिंग के लिए गए थे।
 
स्पाइसजेट के मालिक अजय सिंह ने कहा कि करीब 1000 कनाडाई नागरिक तब से फंसे हुए हैं, जब  वे काठमांडू के बाहर ट्रेकिंग के लिए गए थे। वे अब कनाडाई दूतावास या विदेश मंत्रालय से सीधे संपर्क कर काठमांडू हवाई अड्डे पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, अतएव भारतीयों के अलावा हमें इन विदेशी नागरिकों को भी बाहर निकालने के अनुरोध मिल रहे हैं।
 
एयरलाइन ने कहा कि वह 26 अप्रैल से औसतन 3 उड़ानें परिचालित कर रही हैं तथा राहत सामग्री, स्वयंसेवक और भूकंप प्रभावित लोगों को पहुंचा रही है।
 
सिंह ने कहा कि धीरे-धीरे वे काठमांडू पहुंच रहे हैं तथा दूतावास एवं मंत्रालय भी भूकंप प्रभावित इस देश  से उन्हें वापस पहुंचाने में समन्वय कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ इतालवी नागरिक भी हैं, जो वहां फंसे  हैं। 
 
सिंह ने कहा कि स्पाइसजेट कम से कम एक सप्ताह तक अपनी सेवा देता रहेगा और उसे आशा है कि  तब तक देश में एक प्रकार का स्थायित्व आ जाएगा। स्पाइसजेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एयरलाइन ने शुक्रवार तक 18 उड़ानें परिचालित कीं।
 
सिंह ने कहा कि पहले हम स्पेनिश नागरिकों को वापस लाए और स्पेन के राजदूत हमारे विमान से नई  दिल्ली से काठमांडू आए। उसके अलावा हम राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संगठनों के स्वयंसेवकों, बचावकर्मियों और डॉक्टरों को ला रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि हाल ही में हम 50 जर्मन बचावकर्मियों, खोजी कुत्तों, रेडक्रॉस तथा अन्य मानवीय संगठनों के कर्मियों को लेकर काठमांडू आए। जर्मन दूतावास एवं जर्मन सरकार ने भी नेपाल में अपने कर्मचारी तथा बचाव टीम के प्रशिक्षित सदस्यों को तैनात किया है तथा हवाई अड्डे के भूकंप सहायता बूथों पर भी लोग तैनात किए गए हैं।
 
यहां हवाई अड्डे पर तैनात जर्मन फेडरल एजेंसी फॉर टेक्निकल रिलीफ की रैपिड डिप्लायमेंट यूनिट के एक सदस्य ने कहा कि हम जर्मन दूतावास के साथ तालमेल कर रहे हैं तथा लोग अपने परिवार के  लापता सदस्यों एवं दोस्तों के बारे में हमें ब्योरा दे रहे हैं। इस ब्योरे को दूतावास के डाटाबेस में रखा जा रहा है और दूतावास अन्य दूतावासों के साथ तालमेल कर रहा है।
 
स्थिति से उत्पन्न चुनौती का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर  मालवाहक विमानों के लिए पा‍र्किंग की दिक्कत है और दूसरा यहां एक ही रनवे है।
 
उन्होंने कहा कि हमें दूरदराज के क्षेत्रों में हेलीकॉप्टरों को ले जाने की जरूरत है, क्योंकि विमान वहां नहीं पहुंच सकते। इसके अलावा हवाई अड्डे पर भारी माल पड़ा है। (भाषा)

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