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पाक संसद ने किया शरीफ का समर्थन

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इस्लामाबाद , बुधवार, 3 सितम्बर 2014 (08:15 IST)
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हिंसा और सेना के दखल की आशंका के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को संसद का समर्थन मिला। दूसरी ओर सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को ‘पाकिस्तान के खिलाफ बगावत’ करार दिया।
 
वर्तमान राजनीतिक संकट पर चर्चा करने और प्रधानमंत्री के लिए समर्थन जुटाने के मकसद से बुलाए गए संसद के आपातकालीन संयुक्त सत्र में लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री के पक्ष में अपनी राय व्यक्त की तथा मौजूदा गतिरोध पर चर्चा की।
 
ज्यादातर नेताओं ने विरोध प्रदर्शनों के बीच शरीफ के प्रति अपना समर्थन जताया। इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और मौलाना ताहिर उल कादरी की पाकिस्तान अवामी तहरीक (पीएटी) नवाज शरीफ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
गृहमंत्री चौधरी निसार ने कहा, संसद को इस गलत धारणा को दूर करना चाहिए कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। यह प्रदर्शन नहीं है, धरना नहीं है और न ही राजनीतिक सभा है। यह पाकिस्तान के खिलाफ बगावत है। 
 
सरकारी चैनल पीटीवी के इस्लामाबाद स्थित कार्यालय में प्रदर्शनकारियों के घुसने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, वे सुप्रीम कोर्ट, संसद के गेट तक पहुंच गए। कल वे एक अन्य सरकारी इमारत में घुस गए और ताहिर उल कादरी जिंदाबाद के नारे लगाए। निसार ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के पास पिस्तौल, कटर, हथौड़े, गुलेल, कील लगे डंडे वगैरह थे।
 
उन्होंने कहा कि जो लोग पीटीवी की इमारत में घुसे उस भीड़ में उग्रवादी संगठन के लोग थे। सुप्रीम कोर्ट ने तहरीक-ए-इंसाफ और पीएटी के धरने के खिलाफ कई मामलों की सुनवाई करते हुए आज सभी संसदीय पार्टियों के साथ पीएटी को नोटिस जारी करके संविधान के दायरे में वर्तमान राजनीतिक गतिरोध का हल निकालने को कहा। 
 
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति नसीरूल मुल्क के नेतृत्व वाली चार सदस्‍यीय पीठ ने उस समय नोटिस जारी किया, जब याचिकाकर्ता जुल्फिकार नकवी ने दलील दी कि सभी राजनीतिक दलों को बुलाया जाना चाहिए ताकि गतिरोध का समाधान निकाला जा सके।
 
यह घटनाक्रम कल रात के बाद सामने आया जब सरकारी पीटीवी ने प्रधानमंत्री के हवाले से कहा कि वह न तो इस्तीफा देंगे और न ही छुट्टी पर जाएंगे। कल प्रधानमंत्री आवास पर विपक्षी दलों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भय दिखाकर जनादेश हथियाने नहीं देंगे।
 
सूत्रों ने बताया कि संयुक्त सत्र में चर्चा के खत्म होने के बाद शरीफ का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा और उनसे आग्रह किया जाएगा कि वह न तो इस्तीफा दें और न ही छुट्टी पर जाएं जैसा कि इमरान एवं कादरी मांग कर रहे हैं।
 
पाकिस्तान में दोनों सदनों का संयुक्त सत्र आपात स्थितियों से निपटने अथवा महत्वपूर्ण अवसरों पर बुलाया जाता है। यह सत्र सांसदों की इच्छा के मुताबिक कई दिनों तक चल सकता है।
 
इमरान खान ने शरीफ पर इस्तीफे का दबाव डालना जारी रखते हुए कहा कि वे प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने तक कंस्टीट्यूशन एवेन्‍यू नहीं छोड़ेंगे। खान ने कहा, मैंने चुनाव में गड़बड़ी के मुद्दे के समाधान के लिए सभी कानूनी तरीकों को अपनाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 
 
सरकार ने देर करने का हथकंडा अपनाया लेकिन यह वास्तविक ताकत है कि सरकार प्रधानमंत्री के इस्तीफे को छोड़कर हमारी सभी मांगें मानने को तैयार है। उन्होंने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, हम तब तक नहीं जाएंगे जब तक कि नवाज शरीफ इस्तीफा नहीं दे देते। 
 
बहरहाल, पाकिस्तान की सेना ने अपने बयान में इस धारणा को सिरे से खारिज कर दिया कि वह आईएसआई के साथ वर्तमान राजनीतिक गतिरोध में पीटीआई और पीएटी का समर्थन कर रही है।
 
सेना ने अपने बयान में कहा, सेना एक गैर राजनीतिक संस्था है और उसने कई अवसरों पर लोकतंत्र के प्रति पूरा समर्थन व्यक्त किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेना को ऐसे विवादों में घसीटा जा रहा है। 
 
पिछले 48 घंटे में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण उच्च सुरक्षा वाला कंसर्ट मैदान संघर्ष के मैदान के रूप में तब्दील हो चुका है और इसमें तीन लोग मारे गए हैं और 550 घायल हुए हैं। 'डॉन न्यूज' की खबरों के अनुसार, सोमवार के बाद से तहरीक-ए-इंसाफ और पीएटी नेताओं के खिलाफ नौ मामले दर्ज किए गए हैं।
 
मीडिया की खबरों में कहा गया है कि इनमें देशद्रोह, हत्या का प्रयास और आतंकवाद के आरोप लगाए गए हैं। रविवार की रात से इस्लामाबाद में 200 से अधिक कार्यकर्ता गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
 
खान और कादरी के खिलाफ कल संसद पर हमले का प्रयास करने के सिलसिले में आतंकवाद निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया। बहरहाल, पीएटी के वकील ने यह प्रस्ताव पेश करने से इंकार किया कि सुप्रीम कोर्ट को वर्तमान राजनीतिक गतिरोध दूर करने के लिए क्या भूमिका निभानी चाहिए। (भाषा)

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