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भारत-पाक के हाथ तो मिले लेकिन दिलों के फासले बरकरार

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, गुरुवार, 27 नवंबर 2014 (23:56 IST)
-शोभना जैन
 
काठमांडू/नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच तल्खियों की छाया में शुरू हुए 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के समापन पर आज दोनों देशों के शिखर नेताओं के बीच हाथ तो मिले लेकिन भारत की पहल के बावजूद पाकिस्तान के अड़ियल रूख की वजह से दिलों के फासले बरकरार से लगे। अल्बत्ता प्रेक्षकों का मानना है कि भले ही हाथ शिष्टाचारवश मिले और दुआ सलाम हुई लेकिन निश्चित तौर पर इस औपचारिकता से दक्षेस आंदोलन और इसकी भावना को मजबूती मिली है।
 
प्रेक्षकों का मानना है कि सम्मेलन में भारत और कुछ देशों के सकारात्मक रवैए और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने की  उनकी कई पहल से कुछ प्रगति हो पाई और काफी ना-नुकर के बाद बिजली व्यापार समझौते पर अन्ततः पाकिस्तान ने दस्तखत कर दिए।
 
सम्मेलन का एक और सकारात्मक पक्ष यह भी रहा कि क्षेत्र के देशों के बीच संपर्क मार्ग बढ़ाने के लिए तीन माह के अंदर मोटर वाहन और रेलवे  समझौते को करने पर सहमति हो गई, जिसे  क्षेत्रीय सहयोग की भावना को बल मिलेगा।
 
सम्मेलन इस सहमति के साथ सम्पन्न हो गया कि दक्षेस के अस्तित्व के तीस बरस बाद सम्मेलन में सभी नेताओं का मानना था कि अब समय आ गया है कि दक्षेस के क्षेत्रीय सहयोग को नया बल दिया जाए तथा क्षेत्र की जनता की विकास संबंधी आकाक्षाएं पूरी करने के लिए इसे नई शक्ति प्रदान की जाए। 
 
भारत ने सम्मेलन को 'सफल' बताते हुए कहा दक्षेस सम्मेलन के दौरान माहौल बहुत अच्छा रहा। हम इससे बहुत संतुष्ट हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सयैद अकबरुद्दीन ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि कल कुछ कठिनाईयां थी लेकिन उन्हे धीरे-धीरे सुलझा लिया गया है।
 
प्रवक्ता ने कहा दक्षेस सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बारे में नहीं है। भारत पाकिस्तान के साथ सहज और शांतिपूर्ण रिश्ता चाहता है। हम सार्थक बातचीत करने के इच्छुक हैं। अगर यह हाथ मिलाना (मोदी-शरीफ का हाथ मिलाना) सार्थक बातचीत की ओर बढ़ाया गया कदम है तो हम इसका स्वागत करते हैं। 
 
उन्होंने कहा भारतीय पक्ष प्रधानमंत्री के पहले 'सफल दक्षेस' सम्मेलन के साथ वापस लौट रहा है। सम्मेलन में इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि अगला दक्षेस सम्में लन इस्लामाबाद में वर्ष 2016 में होगा।  
 
सम्मेलन में  पारित 'काठमांडू घोषणा पत्र' में  सदस्य राष्ट्रों ने एक मत से आतंकवाद और सभी तरह के उग्रवाद की एक स्वर से निंदा करते हुए सदस्य देशों से इससे निबटने के लिए प्रभावी सहयोग करने पर बल दिया और उग्रवाद समाप्त करने के लिए एक प्रणाली विकसित करने का आह्वान किया।
 
इससे पूर्व सम्मेलन के समापन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से हाथ मिलाया और मुस्कराते हुए कुशल क्षेम पूछते हुए नजर आए। हालांकि जब दोनों के बीच हाथ मिल रहे थे तो जम्मू कश्मीर सीमा पर आातंकी हमले में  भारत के तीन जवान शहीद हो गए थे।
 
प्रेक्षकों का मत है कि भारत ने दक्षेस की भावना को सम्मान देते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से हाथ मिलाया लेकिन भारत का बराबर यही कहना है कि बमों के धमाके के बीच बातचीत नही हो सकती है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने दक्षेस सम्में लन के समापन समारोह में हाथ मिलाया।
 
हालांकि, दोनों के बीच कोई खास बातचीत नहीं हुई। यह दिन भर में दूसरा मौका था, जब दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया। इससे पहले काठमांडू से 30 किलोमीटर दूर धुलीखेल रिट्रीट में दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया था। लेकिन वहां भी दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई थी। 
 
सम्मेलन खत्म होने के बाद नरेंद्र मोदी ने काठमांडू की सड़कों पर स्थानीय लोगों से अनौपचारिक मुलाकात की।  इसके बाद नरेंद्र मोदी ने नेपाल के राष्ट्रपति की ओर से दिए गए भोज में हिस्सा लिया। देर रात प्रधानमंत्री स्वदेश वापस आ गए।
 
इससे पहले मोदी और अन्य दक्षेस देशों के प्रमुख रिट्रीट में शामिल हुए। कावरे जिले में स्थित इस रिजॉर्ट में सभी सार्कदेशों के प्रमुखों ने विभिन्न मुद्दों पर अनौपचारिक बातचीत की। इसके बाद खाने की टेबल पर भारत पाक के दोनों नेता आमने-सामने बैठे और एक-दूसरे से हाथ मिलाया लेकिन दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई।  
 
प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाली के प्रधानमंत्री और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से अलग-अलग बातचीत की। रिट्रीट में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज भी मौजूद रहे।
 
इससे पूर्व काफी प्रयासो के बाद आखिरकार पाकिस्तान बिजली के क्षेत्र में कनेक्टिविटी से जुड़े समझौते के लिए राजी हो गया है। गौरतलब है कि भारत की ओर से इस प्रस्ताव पर पहल किए जाने के बाद सभी देश इस पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी हो गए थे। केवल पाकिस्तान ने कहा था कि वह इस संबंध में घरेलू प्रक्रियाएं पूरी नहीं कर पा रहा है, इस वजह से वह साइन नहीं कर सकता। 
 
भारत ने इन समझौतों पर आम सहमति नहीं बनने के बाद निराशा जाहिर की थी। शिखर बैठक का में जबान नेपाल भी चाहता था कि इन समझौतों पर हस्ताक्षर हो जाएं। सार्क में कोई भी समझौता सभी सदस्य देशों की सहमति से ही सकता है।
  
गौरतलब है कि कल शुरू हुए सम्मेलन में पाकिस्तान के अड़ियल रवैए पर भारत ने तटस्थता दिखाई थी। मोदी ने अपने भाषण में भी संकेत दिया कि भारत आतंकवाद को लेकर टालू रवैया नहीं सहन करेगा। मुंबई आतंकी हमले  की बरसी पर 18वें  दक्षेस शिखर सम्मेलन के उदघाटन सत्र के अवसर पर मोदी व नवाज शरीफ  पास-पास तो थे लेकिन साथ-साथ कतई नहीं थे।
 
दोनों के बीच फासले, दूरियां साफ नजर आई। प्रधान मंत्री मोदी की जबान से जब दक्षेस मंच से मुंबई आतंकी हमले का दर्द छलक रहा था, तो मंच पर बैठे पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ निर्लिप्त भाव से मंच पर बैठे रहे। उनका चेहरा भावविहीन था, दर्द में सझीदारी का कोई भाव उनके चेहरे पर नही था। 
 
जानकारों का मानना है कि कल पाकिस्तान के  इस नकारात्मक अड़ियल रवैए से दूरिया कम होने की बजाय तल्खिया बढ़ी सी लगी। करीब तीन घंटे तक चले दक्षेस शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एक मंच पर आए लेकिन उनके बीच दूरी बनी रही। दोनों के बीच दुआ-सलाम की बात तो दूर दोनों की नजरें तक नही मिली।
 
सार्क सम्मेलन से पहले शरीफ ने कहा कि अगर भारत पहल करे तो पाकिस्तान को बातचीत से परहेज नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि चूंकि पाकिस्ता‍न की ओर से कोई अनुरोध नहीं आया है, इसलिए काठमांडू में भारतीय प्रधानमंत्री की शरीफ से बातचीत नहीं होगी। (वीएनआई)
 

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