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बोर्ड का काम करती है महिला टीचर की त्वचा

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लंदन। किसी भी अध्यापक अपने स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए ब्लैकबोर्ड या व्हाइटबोर्ड की जरूरत होती है, लेकिन इस दुनिया में एक ऐसी महिला टीचर है जिसे इसकी जरूरत ही नही पड़ती। उनका शरीर की त्वचा ही 'ब्लैकबोर्ड' का काम कर देती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजिलिया में फॉर्मेसी लेक्चरर के रूप में काम करने वाली 31 वर्षीय लेक्चर डॉ. जो वाल्लेर अपने स्टूडेंट्स को इसी तरह पढ़ा रही है। अपनी इस खूबी के चलते वह सभी स्टूडेंट्स की चहेती भी बन चुकी है।

वाल्लेर को डरमैटोग्राफिया नाम की बीमारी है जिसकी वजह से वह अपनी बॉडी पर दबाव बनाकर जो भी लिखती हैं, वह तुरंत उभर आता है। फॉर्मेसी सब्जेक्ट की लेक्चरर वाल्लेर ने अपनी इस बीमारी का अजीब ही उपयोग खोज निकाला और अपनी बॉडी को ही ब्लैकबोर्ड के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। डायग्राम बनाने के लिए वे नीली पेंसिल या कॉकटेल स्टिक का उपयोग करती हैं।

मेल ऑनलाइन के लिए मेडलिन डेवीस लिखती हैं कि उन्हें अपनी इस बीमारी का पता तब चला जब उन्होंने यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉर्मेसी में पढ़ाना शुरू किया था।  

वाल्लेर की त्वचा ऐसी है कि उस पर लकड़ी की एक पेन्सिल जैसी छड़ी से कुछ भी लिखा जाए तो वह साफतौर पर दिखने लग जाता है। इसके चलते क्लास में वह स्टूडेंट्स को कई सवालों से लेकर डायग्राम तक अपनी बॉडी पर बनाकर बता देती हैं। सब्जेक्ट के अनुसार छात्रों को प्रतिदिन 100 से ज्यादा डायग्राम बनाकर समझाने होते हैं जिसमे से ज्यादातर को यह महिला टीचर अपनी बॉडी पर ही बनाकर समझा देती है।

जब कोई व्यक्ति डरमैटोग्राफिया से पीड़ित होता हैतो उसके शरीर पर प्रेशर के साथ कुछ भी उकेरा जाता है वह तुंरत उभरकर सामने आ जाता है। इस बीमारी वाले व्यक्ति के शरीर की चमड़ी के नीचे की कोशिकाएं विशेष प्रकार की होती है जो दबाव पड़ने वाली जगह पर हिस्टामाइन केमिकल इकट्ठा कर देती हैं, जिससें वह जगह रंग के साथ स्पष्ट तौर पर उभर आती है। यह केमिकल अलर्जिक रिएक्शन के कारण पैदा होता है।

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