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भारतवंशी किशोरों ने जीती स्पेलिंग बी प्रतियोगिता

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वॉशिंगटन , शनिवार, 30 मई 2015 (00:56 IST)
वॉशिंगटन। भारतीय मूल के दो अमेरिकी बच्चों ने आज इतिहास रचते हुए वार्षिक ‘स्क्रिप्स नेशनल स्पेलिंग बी’ प्रतियोगिता में अपना वर्चस्व बरकरार रखा और यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता जीत ली। लगातार आठवें साल यह कमाल हुआ है कि यह प्रतियोगिता भारतीय मूल के बच्चों ने जीती है।
वन्या शिवशंकर (13) और गोकुल वेंकटचलम (14) को तनावपूर्ण फाइनल मुकाबले के बाद सह-विजेता घोषित किया गया। दोनों ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच गोल्डन ट्रॉफी को एक साथ उठाया। भारतीय-अमेरिकियों ने ऐसी साझा जीत लगातार दूसरी बार हासिल की है।
 
दोनों विजेताओं में प्रत्येक को 37000 डॉलर से अधिक की नकद पुरस्कार राशि दी जाएगी। यह लगातार आठवां साल है, जब भारतीय मूल के अमेरिकियों ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में जीत दर्ज की है। पिछले 18 वर्षों में यह भारतीय अमेरिकियों को मिली 14वीं जीत है।
 
ऐसा पहली बार हुआ है जब एक पूर्व चैंपियन की बहन या भाई ने पुरस्कार जीता है। ओकलाहोमा के भारतीय अमेरिकी कोल शेफर-रे को तीसरा स्थान मिला।
 
वन्या ने यह पुरस्कार अपनी दिवंगत दादी को समर्पित करते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है मानो एक सपना सच हो गया हो। मैं लंबे समय से यह चाहती थी।’ वन्या की बहन काव्या शिवशंकर ने वर्ष 2009 में यह प्रतियोगिता जीती थी। स्पेलिंग बी में पांचवीं और आखिरी बार भाग लेने वाली 13 वर्षीय वन्या कंसास से हैं और आठवीं की छात्रा हैं। 
 
इस स्पर्धा में पांचवी और अंतिम बार शामिल हुईं वन्या ने साइटोपोएसिस, बुकेटियर और अन्य कई शब्दों की सही स्पेलिंग बताई। बास्केटबॉल के शौकीन वेंकटचलम ने पॉब्लेसियन, कौडिलिस्मो और निक्स्टैमेल जैसे शब्दों की स्पेलिंग बताने में कोई चूक नहीं की। इसके बाद बी के अधिकारी जैक बाइली ने वन्या और वेंकटचलम को विजेता घोषित कर दिया।
 
कल, सोशल मीडिया पर विभिन्न तरह की नस्ली प्रतिक्रिया आई थी। फायनल का सीधा प्रसारण करीब 10 लाख लोग देख रहे थे और लोगों ने प्रतिस्पर्धा में गैर अमेरिकियों के दबदबे पर पक्षपातपूर्ण पोस्ट किए थे।
 
ट्‍विटर पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘मेरी इच्छा है कि कोई अमेरिकी बच्चा इसे जीते।’ एक अन्य ट्वीट में था, ‘स्पेलिंग बी में भाग लेने वाले बच्चे अमेरिकी ही होने चाहिएं।’ 
 
इससे पहले भारतीय मूल के विजेताओं के खिलाफ हो रही नस्ली टिप्पणी पर बी के निदेशक पेजी किंबले ने आलोचना की। अमेरिकी आबादी में भारतीय अमेरिकी एक फीसदी से भी कम हैं लेकिन बी के 88 वें संस्करण में हिस्सा ले रहे 285 में 20 फीसदी से ज्यादा भारतीय ही हैं। (भाषा)

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