न्यूयॉर्क। एक नए सर्वे के अनुसार कम्प्यूटर के दौर में आभासी दुनिया से पैदा हाने वाली प्रतिस्पर्धा किसी व्यक्ति के काम करने के प्रयास को बढ़ावा देते हैं। सर्वे में कहा गया है कि आभासी दुनिया से कोई व्यक्ति उतना ही प्रभावित होता है जितना वह निजी जीवन में अपने दोस्त या सहकर्मी के काम की सफलता से होता है।
सहकर्मियों और साथियों का दबाव एक सिद्ध सामाजिक प्रेरणा है और यह साबित भी हो चुका है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मनुष्य के इस विशेषता की जांच की है। उन्होंने इस विषय पर शोध किया है कि मनुष्य अपने साथियों से प्रतिस्पर्धा करने के मामले में कितना संवेदनशील होता है।
उन्होंने शोध में पाया कि सिर्फ आभासी दुनिया की प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि ‘नकली’ प्रतियोगिता भी नागरिक विज्ञान की परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने गणितीय मॉडल पर यह शोध किया है। उन्होंने शोध के लिए अलग-अलग समूह बनाए और उनमें काम बांटे। काम के परिणाम से यह साबित हुआ कि आभासी दुनिया का दबाव लोगों के व्यवहार को प्रभावित करता है। सबसे ज्यादा काम उस समूह ने किया था जिसने आभासी दुनिया पर देखा था कि दूसरा समूह उनसे काम के मामले में आगे निकल गया है।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मौरिजियो पोरफिरी के मुताबिक, सामाजिक तुलना लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है और यही बात आभासी दुनिया में भी होती है। (भाषा)