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भारत का दुश्मन बना तालिबान का प्रमुख

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, सोमवार, 3 अगस्त 2015 (14:00 IST)
नई दिल्ली। भारत का पुराना दुश्‍मन तालिबान मुखिया बन गया है। इसके बारे में खुलासा हुआ है कि यह वहीं आतंकी है जिसने 16 साल पहले हिंदुस्तान के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश रची थी। 1999 में इसी शख्स ने इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 की हाईजैकिंग में अहम भूमिका निभाई थी। इस आतंकी का नाम है मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर।

मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर ने से पहले मुल्ला मोहम्मद उमर तालिबान प्रमुख था लेकिन अमेरिका की एक कार्रवाई में वह मारा गया। कुछ दिन पहले ही तालिबान ने घोषणा की थी कि मुल्ला मोहम्मद उमर की मौत हो चुकी है। इसके बाद मोहम्मद मंसूर तालिबान की कमान अपने हाथ में ले ली है।

24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 को आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था। मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर की इस मामले में अहम भूमिका थी। कंधार हाईजैक मामले में शामिल रहे अधिकारियों के मुताबिक, 1999 में जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 को हाईजैक किया गया था, तब मंसूर अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे वाली सरकार में सिविल एविएशन मिनिस्टर था।

भारतीय खुफिया अधिकारियों का मानना है कि मुल्ला मंसूर को हाईजैकर्स और इस अपहरण कांड में आईएसआई एजेंट्स की भूमिका के बारे में पूरी जानकारी थी। मुल्ला मंसूर को ये भी पता था कि हाईजैकर्स के पास किस तरह के विस्फोटक और राइफल्स हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के एक पूर्व अधिकारी के मुताबिक हाईजैकर्स काठमांडू में मिठाई के एक डब्बे में बंदूक लेकर प्लेन में चढ़े थे। लेकिन कंधार में हमने पाया कि उनके पास ऑटोमेटिक हथियार थे। मतलब, कंधार में प्लेन उतारने के बाद किसी ने उन्हें ये हथियार सप्लाई किए होंगे।

अब ये हथियार प्लेन में कैसे पहुंचे और इसके पीछे किसका हाथ हो सकता है, ये समझना मुश्किल नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक आतंकवादियों तक ऑटोमेटिक हथियार पहुंचाने में मुल्ला मंसूर की अहम भूमिका थी। आपको बता दें कि 24 दिसंबर, 1999 को आईसी 814 को काठमांडू से हाईजैक किया गया था। विमान में हरकत उल मुजाहिदिन उर्फ जैश ए मुहम्मद के आतंकी सवार थे और उनके कब्जे में 176 यात्रियों समेत 200 से ज्यादा लोगों की जान थी।

इस विमान को पेट्रोल भरवाने के लिए पहले अमृतसर में उतारा गया और फिर उसे लाहौर, दुबई होते हुए कंधार ले जाया गया। विमान में फंसे लोगों को छुड़ाने के लिए सरकार को आतंकियों की शर्त माननी पड़ी। भारत को जैश ए मोहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर, खूंखार आतंकी उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को छोड़ना पड़ा था, जिसकी कीमत आज तक भारत चुका रहा रहा है। (एजेंसी)


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