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पाक अदालत में 6 जनवरी को आतंकी लखवी की सुनवाई

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, रविवार, 4 जनवरी 2015 (18:44 IST)
इस्लामाबाद। वर्ष 2008 के मुंबई हमलों के सरगना जकी उर रहमान लखवी की जमानत के खिलाफ पाकिस्तान सरकार की अपील पर यहां की एक अदालत मंगलवार को सुनवाई करेगी। अदालत के एक अधिकारी ने आज यह जानकारी दी।
 
अधिकारी ने बताया कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने लखवी की जमानत के खिलाफ सरकार के अनुरोध पर उसकी सरकार की अपील पर सुनवाई के लिए छह जनवरी की तारीख तय की है। इस मामले की सुनवाई के लिए एक खंडपीठ का गठन किया गया है। 
 
उन्होंने बताया कि सरकार ने उच्च न्यायालय से अनुरोध  किया था कि इस विषय पर फौरन विचार किया जाए और इसकी जल्द से जल्द सुनवाई के लिए तारीख तय की जाए।
 
अधिकारी ने बताया, अदालत ने मंगलवार की सुनवाई के लिए प्रतिवादी लखवी को एक नोटिस भी जारी किया है। पाकिस्तान सरकार ने कल लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन कमांडर लखवी की जमानत को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए कहा था कि आतंकवाद रोधी अदालत ने उसकी जमानत मंजूर करते हुए 26/11 मामले में गवाही नजरअंदाज कर दी।
 
संघीय जांच एजेंसी के अतिरिक्त महानिदेशक मोहम्मद खालिद कुरैशी द्वारा दायर सरकार की याचिका के मुताबिक, यह तथ्य बरकरार है कि निष्क्रिय हो चुके आतंकवादी संगठनों के ऐसे मुकदमों को चलाया जाना इतना आसान भी नहीं है और खासतौर पर हमारे देश में पिछले कुछ सालों से ऐसे मामले अभियोजन के पास सर्वाधिक मुश्किल काम रहे हैं।
 
याचिका के मुताबिक, मौजूदा मामले में एटीसी में मुकदमे की सुनवाई कर रहे संबद्ध न्यायाधीश मार्च 2013 में इस्लामाबाद की अदालतों में हुए आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा कारणों को लेकर काफी समय तक अदियाला जेल जाने से इनकार करते रहे। 
 
यहां तक कि इस मामले के अभियोजकों को कार्यवाही के दौरान मोबाइल फोन पर धमकियां मिलती रहीं, जिनसे संबद्ध अधिकारियों को अवगत करा दिया गया। इसमें कहा गया है, गवाह भी सुरिक्षत नहीं हैं और आरोपियों के खिलाफ गवाही देने को अनिच्छुक हैं। 
 
साक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा दर्ज कर लिया गया है और शेष को दर्ज करने में तीन महीने से अधिक वक्त नहीं लगेगा। इस तरह एटीसी न्यायाधीश का कहना कि मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेगा, सही नहीं है। अभियोजन ने आगे इस बात का जिक्र किया है कि उसके  चलते मुकदमे में देर नहीं हुई है लेकिन बचाव पक्ष के वकील द्वारा दाखिल कई अर्जियों के मामले में प्रगति प्रभावित हुई है।
 
इसमें कहा गया है कि अभियोजन ने मुकदमे में तेजी लाने के लिए कई अर्जियां दी लेकिन निचली अदालत ने इन तथ्यों की उपयुक्त जांच नहीं की। अपील में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि मुंबई हमले के बाद भारतीय अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकवादी अजमल कसाब का इकबालिया बयान अभी भी साक्ष्य का हिस्सा है और यह बयान हमले से लखवी के संबंध को स्पष्ट रूप से स्थापित करता है।
 
इसमें कहा गया है, अभियोजन के पास लखवी के खिलाफ पर्याप्त सबूत है इसलिए अदालत से उसकी जमानत रद्द  करने का अनुरोध किया जा रहा है। गौरतलब है कि 18 दिसंबर 2014 को आतंकवाद रोधी अदालत ने लखवी की जमानत मंजूर कर ली थी। वह नवंबर 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने, वित्त मुहैया करने  और उसे अंजाम देने में शामिल था। 
 
हालांकि उसे अगले ही दिन लोक व्यवस्था कायम रखने (एमपीओ) के तहत हिरासत में ले लिया गया। वहीं, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नुरूल हक कुरैशी ने एमपीओ के तहत लखवी की हिरासत स्थगित कर दी। (भाषा)

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