Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिन्दी भाषियों को जोड़ रहा है 'मूषक'

हमें फॉलो करें हिन्दी भाषियों को जोड़ रहा है 'मूषक'
, सोमवार, 22 सितम्बर 2014 (14:54 IST)
सोशल मीडिया, माइक्रो ब्लॉगिंग पर हिन्दी में अपनी बात कहने और हिन्दी भाषी लोगों के लिए  माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के अनुभव बेहतर बनाने के लिए पिछले हिन्दी दिवस पर माइक्रो ब्लॉगिंग  साइट मूषक शुरू की गई। मूषक की स्थापना के पीछे अनुराग गौड़ का सबसे बड़ा मकसद यह  अहसास करवाना है कि हिन्दी इंटरनेट पर भी बहुत सक्षम भाषा है।

लोगों ने अनुराग गौड़ के इस प्रयास की सराहना की और कुछ तो उनके साथ इस अभियान में जुड़  भी गए। ट्विटर की तर्ज पर मूषक हिन्दी भाषा में अपनी बात कहने का ऐसा माध्यम है, जिस पर  हिन्दी के कारण लोग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

अनुराग कहते हैं कि हिन्दी के प्रति अधिक जिम्मेदारी उन लोगों की बनती है, जो हिन्दी से ही खाते कमाते हैं। उन्होंने बॉलीवुड का जिक्र करते हुए कहा कि बॉलीवुड के लोगों का मान, सम्मान, प्रतिष्ठा और कमाई हिन्दी से जुड़ी हुई है, लेकिन जब सोशल मीडिया या माइक्रो ब्लागिंग पर अपनी बात कहने की बारी आती है तो ये लोग अंग्रेज़ी का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि अब मूषक उपलब्ध है और यह बहाना नहीं चल सकता कि हिन्दी में माइक्रो ब्लागिंग का कोई प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं है।

सोशल मीडिया, माइक्रो ब्लॉगिंग पर अंग्रेजी पूरी तरह छाई हुई है। जो लोग अंग्रेज़ी जानते हैं वे  सोशल मीडिया पर अपनी बात अंग्रेजी में ही कहते हैं और जो कम जानते हैं या वे भी कोशिश करते  हैं कि अंग्रेजी में अपनी बात कहने की कोशिश की जाए, चाहे भाषा का कम ज्ञान ही क्यों न हो।  मूषक लोगों की भाषा की विवशता को तोड़ता है और उन्हें हिन्दी से जुड़ने का और हिन्दी में अपनी  बात कहने का अवसर देता है।

कैसे हुई मूषक की शुरुआत : अनुराग गौड़ का चीन में कई वर्षों से आना-जाना रहा है। वहां की  अपनी विभिन्न यात्राओं में अनुराग ने देखा कि चीन में न फेसबुक चलता है और न ही ट्विटर। वहां  इंटरनेट की दुनिया कुछ और ही है और आपका ड्राइवर हो या कोई धन्ना सेठ, सार्वजनिक मुद्दों पर  सभी weibo नामी एप्लीकेशन का प्रयोग करते थे। संपूर्ण देश की राय एक ही मंच पर एक ही  भाषा में व्यक्त होती थी। यहां पर यह नोट करना आवश्यक है कि चीन भी भारत के समान विशाल  देश है और वहां भी हर प्रांत की अपनी-अपनी भाषा है। कुल जमा 15 से भी ज्यादा प्रांतीय भाषाएं।

2013 में अनुराग weibo के बीजिंग स्थित कार्यालय पहुंचे इस उम्मीद के साथ कि उनसे किसी  प्रकार का करार करें और सभी भारतीय भाषाओं में twitter की तोड़ का कुछ बनाएं। मुलाकात तो  अच्छी हुई, परंतु नतीजा कुछ निकलता नहीं दिखा।

अनुराग के दिल में यह बात घर कर चुकी थी कि इस दिशा में कुछ न कुछ करना है। इसी विषय  पर अनुराग ने अपने कॉलेज के कुछ मित्रों से बात की और उन्हें भी लगा कि इसके लिए कुछ करना  चाहिए। इतना स्पष्ट था कि इसके लिए एक भारतीय सोशल नेटवर्क बनाना आवश्यक है, जो हमारी  भाषा को प्राथमिकता दे। वो क्या होगा? कैसे बनेगा? इन सबके बारे में उन्हें ज्यादा कुछ पता नहीं  था।

बड़ी-छोटी सभी बाधाओं को पार करते हुए 14 सितंबर 2013 के हिन्दी दिवस पर फेसबुक पर छोटे  से प्रचार अभियान के साथ मूषक शुरू किया गया। बीते 15 अगस्त को यह गूगल प्ले स्टोर पर  उपलब्ध हो गया और फिलहाल हमारे 6500+ सदस्य हैं और करीबन 3 लाख संदेशों का  आदान-प्रदान मूषक पर हो चुका है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi