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इस नई बीमारी का नाम है 'वाट्‍सएपीटाइटिस'

हमें फॉलो करें इस नई बीमारी का नाम है 'वाट्‍सएपीटाइटिस'
, शुक्रवार, 28 मार्च 2014 (17:13 IST)
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डॉक्टर्स इस बात की चेतावनियां देते रहे हैं कि मैसेजिंग एप्स लोगों के लिए नई-नई बीमारियों का सबब बन सकते हैं। क्या आपको पता है कि वाट्‍सएप के एडिक्शन (लत) से जो बीमारी पैदा हुई है, उसे क्या कहते हैं? डॉक्टरों ने इस नई बीमारी का नाम 'वाट्‍सएपीटाइटिस' रखा है। डॉक्टरों को इस बीमारी का पहला मरीज भी मिल गया है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का मरीज लगातार छह घंटे के मैसेजिंग सेशन के बाद शिकायत करता है कि उसकी दोनों कलाइयों में भीषण दर्द हो रहा है।

वैज्ञानिकों ने और भी कुछेक हाईटेक बीमारियों का पता लगाया है ‍कि जिसके नाम उन्होंने ''ब्लैकबेरी थम्ब'' और ''निन्टेनडूआईटिस'' बताया है। डॉक्टरों का कहना है कि एप्स का इस्तेमाल करने वालों को इनके खतरों के प्रति भी सजग रहना चाहिए।

'वाट्‍एपीटाइटिस' का पहला मरीज मिला...



डेलीमेल ऑन लाइन में मार्क प्रिग की एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है जिसमें कहा गया है कि एक स्पेन के डॉक्टर का दावा है कि उसे 'वाट्‍एपीटाइटिस' का पहला मरीज मिला है। उन्होंने इस बीमार का नाम सार्वजनिक नहीं किया, लेकिन कहा कि एक सुबह उसकी दोनों कलाइयों में असहनीय दर्द होने लगा।

मामले की जांच कर डॉक्टरों को पता लगा कि ऐसा वाट्‍सएप के संदेशों का लगातार छह घंटे तक उत्तर देने के कारण हुआ। डॉक्टरों ने कुछ हाई टेक बीमारियों का नाम भी बताया। इससे पहले भी उन्होंने कहा ‍था कि तकनीक का अंधाधुंध उपयोग करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं जो कि गंभीर रूप धारण कर सकती हैं। इस हाईटेक बीमारियों में से एक ब्लैकबेरी थम्ब भी है जोकि हैंडसेट के स्क्रॉल व्हील का बहुत अधिक प्रयोग करने से पैदा होती है।

निनटूडूआइटिस गेमपैड पर लगातार बटन्स को हिट करने से पैदा हो जाती है। वाई एल्बो नाम की ऐसी बीमारी है जोकि निनटेडू के मोशन कंट्रोलर को लम्बे लम्बे सेशन के दौरान प्रयोग करते से पैदा होती है और इसमें कोहनी में दर्द होता है।

कैसे शुरु होती है यह बीमारी, अगले पन्ने पर..


लांसेट पत्रिका में एक डॉक्टर ने इस मामले के बारे में लिखा है कि उनकी मरीज 34 वर्ष की थी और वह 27 सप्ताह की गर्भवती भी थी। एक दिन सुबह उठते ही उसकी दोनों कलाइयों में तेज दर्द होने लगा। ग्रेनेडा की जनरल यूनिवर्सिटी के अस्पताल के डॉ. आइनेस फर्नान्डेज-गुरेरो ने लिखा कि बीमार को सदमा या मानसिक आघात लगने जैसी कोई बीमारी कभी नहीं रही थी और इससे पहले के दिनों में मरीज ने कभी भी बहुत अधिक शरीरिक व्यायाम भी नहीं किया था। बीमार से बात करने के बाद इसका कारण उजागर हो गया।

क्रिसमस से पहले यानी 24 दिसंबर को मरीज ड्‍यूटी पर रही थी और इसके अगले दिन उसने उन संदेशों का जवाब दिया जो कि उसके स्मार्टफोन पर भेजे गए थे। इन्हें भेजने के लिए वाट्‍सएप इंसटेंट मैसेजिंग सर्विस की मदद ली गई थी। उसके हाथ में उसका फोन लगातार छह घंटों तक बना रहा जोकि 130 ग्राम का था। इस समय के दौरान उसने संदेश भेजने के लिए अपने दोनों हाथों के अंगूठों का इस्तेमाल किया। डॉक्टरों ने लिखा है कि इस बीमारी की पहचान वाट्‍सएपीटाइटिस के तौर पर की गई।

आखिर डॉक्टर ने क्या सलाह दी, अगले पन्ने पर...



मरीज से कहा गया कि जब तक दर्द समाप्त न हो जाए और सूजन कम न हो जाए तब तक वह अपने फोन का इस्तेमाल न करे। मरीज को पेनकिलिंग दवाएं दी गईं और कहा गया कि वह फोन को हाथ न लगाए लेकिन मरीज ने माना कि उसने नए वर्ष की पूर्व संध्या पर अपने मित्रों को टेक्स्ट मैसेज भेजे थे। डॉक्टरों ने चेतावनी दी थी कि यह बीमारी हाई टेक समस्याओं में सबसे नई है। कथित तौर पर निनटेनडीनाईटिस के बारे में 1990-91 में बताया गया था और इसके बाद वीडियो गेम्स और नई तकनीकों से जुड़ी नई समस्याओं के बारे में जानकारी दी गई थी।

पहले यह बीमारियां बच्चों में पाई जाती थीं, लेकिन बाद में वयस्कों ने भी इन बीमारियों की शिकायत कर दी। टेनोसिनोवाइटिस एक ऐसी ही बीमारी है जो कि मोबाइल फोन्स पर टेक्स्ट करने से संबंधित बताई जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें इन नई बीमारियों के प्रति सतर्क होना चाहिए।

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