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बारिश पर कविता : बड़े जोर के बादल

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बादल की ऐसी मनमानी
होती है हैरानी।


 
बड़े जोर के बादल आए
बड़े जोर का पानी॥
 
अभी खिली थी धूप सुनहरी
चलती थी पुरवैया।
नीलम गाती गीत बाजती
ननमुन की पायलिया॥
बीन रही थी गेहूं आंगन
बैठी बूढ़ी नानी।
 
टप-टप टप-टप गिरी टपाटप
मोटी-मोटी बूंदें।
लगता जैसे टीन छतों पर
हिरणें आकर कूदे॥
दादी-अम्मा की डूबी है
बाहर रखी मथानी।
छप्पर-छान टपकते बहते
छत वाले परनाले।
गिरती हैं कच्ची दीवारें
हैं प्राणों के लाले॥
 
कैसे घर ये बने दुबारा
जेब न कौड़ी कानी।
-शोभा शर्मा 

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