चुहिया रानी रंग-बिरंगी,
स्वेटर बुनकर लाई।
बड़े प्रेम से अपने भाई,
सिर पर ओढ़ रजाई।
उन्हें समझकर कोई एलियन,
बिल्ली तक घबराई।
चूहा-चुहिया दोनों ने ही,
पथ पर धूम मचाई।
दौड़ लगाकर डर के मारे,
भागे कुत्ताभाई।
तभी छछूंदर काकाजी ने,
समझी यह चतुराई।
चूहे की स्वेटर व चुहिया की,
वह रजाई हटाई।
पकड़े गए चूहे-चुहियाजी,
प्रकट हुई सच्चाई।
फिर दोनों की खूब धमाधम,
कसकर हुई पिटाई।
धोखा देना मूर्ख बनाना,
ठीक नहीं है भाई।
ऐसे लोगों की आखिर में,