बाल गीत : अच्छे कर्म करो...
कर्म करो अच्छे-अच्छे
थोड़ी दूर गया घर से,
पथ उसका काटा है।
राह काटना बिल्ली का,
अपशकुन बताया है।
पता नहीं किन पुरखों ने,
यह पाठ सिखाया है।
काम शुरू करते करते ही,
छींक अगर आई।
बिगड़ेगा यह काम सभी,
कहते हैं यह भाई।
रीते मटके राह मिले,
तो वापस घर आते।
असफल होगा काम मान,
वे आगे न जाते।
चली हवा जलते-जलते,
दीपक बुझ जाता है।
शुभ कामों में बुझ जाना,
अपशकुन कहाता है।
पुरा पंथ पाखण्ड भरी यह,
बातें ठुकराओ।
कर्म करो अच्छे-अच्छे तो,
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