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नन्ही कविता : कितनी अच्‍छी लगती धूप

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कृष्ण वल्लभ पौराणिक

कितनी अच्‍छी लगती धूप
दुनिया को चमकाती धूप
सुबह-सुबह से आती धूप
सबका मन बहलाती धूप ...1

अंधेरी रात भगाती धूप
सूरज से है आती धूप
रंगों को दर्शाती धूप
इन्द्रधनुष सजाती धूप ...2
 
ठंडक दूर भगाती धूप
गर्मी में दहकाती धूप
गीले वस्त्र सुखाती धूप
कच्चे खेत पकाती धूप ...3
 
पानी पर जब पड़ती धूप
चम चम चम चम करती धूप
खुले बदन पर गिरती धूप
विटामिन डी पिलाती धूप ...4
 
पत्तों से जब झरती धूप
किरणें बनी नाचती धूप
खपरैली छत गिरती धूप
रजत रेख बन चुभती धूप
 
उसमें धूल दिखाती धूप
सूरज बिम्ब बनाती धूप
पौधों पर जब गिरती धूप
जीवन रस बरसाती धूप ...6

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