नूतन वर्ष अंबर से खुशियां बरसाएगा
आनंद का उपहार हाथों से लुटाएगा
बुरे कर्म को भूल जाएंगे लोग
पाप न करेंगे छोड़ेगे लोभ
कोई किसी को नहीं अब सताएगा
आनंद का उपहार हाथों से लुटाएगा
धरा पर सुगंधित उपजेंगे फूल
लोग भूल पाएं न अपना वसूल
अत्याचार भ्रष्टाचार, जग से चला जाएगा
आनंद का उपहार, हाथों से लुटाएगा