Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कविता : तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता

हमें फॉलो करें कविता : तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

कुआं खोदने पर भीतर से दूध निकलता,
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।


 
रोज सुबह से बड़ी बाल्टी लेकर जाते
किसी कुएं से उसे लबालब भरके लाते,
फिर कड़ाही में भरकर उसे खूब खौलाते
शकर, केशर, किशमिश भी भरपूर मिलाते,
जितना चाहे उतना सबको पीने मिलता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।
 
हम सब मिलकर बिजली की मोटर लगवाते
चला-चलाकर मोटर ड्रम के ड्रम भरवाते,
चौराहों पर बड़ी-बड़ी भट्टी लगवाते
भरे कड़ावों को भट्टी पर हम चढ़वाते,
पीने को जब सबको दूध मुफ्त में मिलता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।
 
स्वच्छ दूध से रोज टैंकर हम भर लाते
गली-गली में जाकर बच्चों को बंटवाते,
बूढ़ों और स्यानों को भी भरी बाल्टी
हम अपने हाथों उनको घर पर दे आते,
चेहरा होता लाल सभी का, तन-मन खिलता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।
 
यदि भिखारी कभी हमारे दर पर आते
भरी बाल्टी दूध उन्हें हम देकर आते,
पानी के बदले चुल्लू से दूध गुटककर
स्वर्ग सरीखा सुख धरती पर वे पा जाते,
सुबह-शाम जब बच्चा-बच्चा दूध निगलता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।
 
किसी काम को करवाने में जब थक जाते
एक बाल्टी दूध घूस में हम दे आते,
फिर भी बाबूजी करते कुछ आनाकानी
किसी दूध के ड्रम में लाकर उसे डुबाते,
काम शीघ्र ही बाबूजी को करना पड़ता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।
 
बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी भी नहीं अघाते
बिलियन-ट्रिलियन लीटर दूध रिश्वत में पाते,
स्विस बैंकों को बड़े टैंक बनवाना पड़ते
नेता अफसर मजे-मजे फुल टैंक कराते,
बिना दूध भरपूर पिए पत्ता न हिलता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।
 
दारू के बदले वोटर को दूध पिलाते
भरी बाल्टी लेकर नेता घर-घर जाते,
वोट डालने में जो करता आनाकानी
भरे दूध के ड्रम में उसको पकड़ डुबाते,
दूध के बदले ही वोटर से दूध निकलता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।
 
बाथरूम में नदी दूध की रोज बहाते
दूध भरी गंगोत्री में हर रोज नहाते,
पूतों-फलो नहा लो दूधों का मुहावरा
हम सच में ही सबको सच करके बतलाते,
खून के बदले जब शरीर से दूध निकलता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।
 
खून के बदले हिंसा में हम दूध बहाते
देख-देखकर दूध-खराबे खून-खराबे खुद रुक जाते,
दूध सड़क पर बहा देख सब लोटे भरते
दंगे और फसाद कभी भी न हो पाते,
धवल दूध-सा निर्मल मन, जन-गण का बनता
तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता।

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi