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बाल कविता : अगर परिश्रम करें...

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

गधेराम ने सौ में से सौ,
पूरे नंबर पाए।


 
खुशियों के मारे चिल्लाए,
चिल्लाकर बौराए।
 
उनकी मां ने पूछा बेटे,
आज खुशी यह कैसे?
जीत लिया है युद्ध कहीं क्या,
पानीपत का जैसे?
 
बोला गधा अरी ऐसी ये,
बात नहीं है अम्मा।
दुनियाभर के लोग गधे को,
कहते सदा निकम्मा।
 
पर मां मैंने सौ में से सौ,
पूरे नंबर पाए।
और गधेपन के स्तर से,
ऊंचा उठकर आए।
 
अगर परिश्रम गधे करें तो,
ऊंचा पद पा सकते।
रॉकेट लेकर चंदा मामा,
के घर तक जा सकते।।

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