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बाल कविता : थाली पापा वाली

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

मिर्ची बहुत तेज सब्जी में, 
कैसे खाऊं खाना।
अम्मा तुम क्यों नहीं सीखती, 
खाना ठीक बनाना।


 
आता नहीं बनाना ढंग से, 
तो दादी से सीखो।
कितनी मिर्ची-नमक डालना, 
हर दिन उनसे पूछो।
 
अम्मा बोली बेटा मैंने, 
दादी से ही सीखा।
उनको तो अच्छा लगता है, 
खाना सादा फीका।
 
शायद गलती से दे दी है, 
थाली पापा वाली।
अभी बदल देती हूं बेटा, 
पापा वाली थाली।

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