पात्र :
महाराजा, महामंत्री, पांच बस्ते, एक बालक, दो सिपाही
मंच पर परदे के पीछे से आवाज आ रही है।
आजकल कैसी-कैसी शिकायतें आ रही हैं महामंत्री, अब तो बस्ते भी शिकायत करने लगे। जमीन-जायदाद की शिकायतें तो आती हैं, मारपीट और स्त्री-पुरुषों के झगड़ों की शिकायतें आना भी समझ में आता है, पर... पर... ये बस्ते! आश्चर्य है इन्हें क्या कष्ट हो गया, समझ से परे है महामंत्री।
महाराज कोई विशेष बात लगती है। राजमहल को हजारों बस्तों ने घेर रखा है, नारेबाजी हो रही है, 'हम पर न ये जुल्म करो- इंसाफ करो इंसाफ करो।'
सारे बस्ते आपसे मिलना चाहते थे, वह तो मैंने केवल पांच प्रतिनिधि बस्तों को ही दरबार में आने की इजाजत दी है।
चलो चलकर देखते हैं।