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आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहेगी

हमें फॉलो करें आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहेगी
नई दिल्ली (भाषा) , बुधवार, 21 अक्टूबर 2009 (23:25 IST)
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने कहा कि कमजोर मानसून से कृषि उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहेगी।

पीएमईएसी के चेयरमैन सी रंगराजन द्वारा 2009-10 के लिए आर्थिक परिदृश्य पर प्रधानमंत्री को सौंपी गई रिर्पोट में कहा गया है कि ऐसा नहीं लगता कि आर्थिक वृद्धि दर 6.25 प्रतिशत से नीचे जाएगी, बल्कि यह 6. 75 प्रतिशत पर जा सकती है।

पीएमईएसी का मानना है कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर औसतन 6.5 फीसद रहेगी। वैश्विक वित्तीय संकट के कारण देश की आर्थिक वृद्धि दर 2008-09 में घटकर 6.7 प्रतिशत पर आ गई थी। इससे पिछले तीन वित्तीय वर्षों में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 9 प्रतिशत से ऊपर रही थी।

पीएमईएसी ने आगे कहा कि महँगाई की दर जो इस समय एक प्रतिशत के आसपास चल रही है, चालू वित्त वर्ष के अंत तक छह प्रतिशत पर पहुँच जाएगी।

कृषि क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर मानसून के प्रभाव से कृषि उत्पादन में दो प्रतिशत की कमी आएगी। पिछले वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रही थी।

खाद्य पदार्थ की कीमतों में आई तेजी के बारे में पीएमईएसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्राथमिक खाद्य पदार्थों के दाम 33 प्रतिशत बढ़े हैं। इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में तेज वृद्धि हुई है।

पीएमईएसी की रपट में एक सकारात्मक पहलू का उल्लेख करते हुए अनुमान लगाया गया है कि चालू वित्त वर्ष में औद्योगिक वृद्धि दर 8. 2 प्रतिशत रह सकती है, जबकि 2008-09 में यह 3.9 फीसद रही थी।

रिपोर्ट की मुख्‍य बातें :-
1. वित्त वर्ष 2009-10 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.25 से 6.75 फीसद के बीच रहेगी।
2. मार्च 2010 तक मुद्रास्फीति के छह फीसद तक पहुँचने का अनुमान।
3. वैश्विक मुद्रास्फीतिक का दबाव ऊँचा है, तेल की कीमत बढ़ रही हैं।
4. वर्ष के दौरान संभावित घरेलू बचत दर 34.5 फीसद।
5. खाद्यान्न उत्पादन 22.3 करोड़ टन।
6. चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद के दो फीसद के बराबर।
7. निर्यात 189 अरब डॉलर।
8. आयात 306 अरब डॉलर होने का अनुमान।
9. विदेशी पूँजी प्रवाह 57.3 अरब डॉलर तक संभव। 2008.09 में यह आँकड़ा 9.1 अरब डॉलर का था।
10. सितंबर 2009 से बैंक ऋण में कमी आई है।
11. 2009-10 में कुल राजकोषीय घाटा 10.09 फीसद होगा।
12. राजकोषीय पुनर्गठन की ओर वापसी की जरूरत।
13. रबी फसल को सुरक्षा प्रदान की जाए।
14. पीडीएस वितरण प्रणाली को मजबूत बनाया जाए।
15. प्राकृतिक गैस एवं परमाणु उर्जा जैसे ईंधन के स्रोतों की तलाश की जरूरत।

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