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भारतीय अर्थव्यवस्था के आधार मजबूत-तेंडुलकर

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मुंबई (वार्ता) , मंगलवार, 23 दिसंबर 2008 (15:01 IST)
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष प्रो. सुरेश डी.तेंडुलकर ने भारतीय अर्थव्यवस्था के आधारों को पर्याप्त मजबूत बताते हुए चेतावनी दी कि देश में बन रहा मायूसी का माहौल वास्तविक खतरा है।

प्रो.तेंडुलकर ने कहा कि वैश्विक मंदी से भारत की अर्थव्यवस्था उस सीमा तक प्रभावित नहीं होगी, जिस तरह से एशियाई देशों की अन्य अर्थव्यवस्थाएँ हो रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विदेशी बाजारों या विदेशी पूँजी के प्रवाह, विदेशी वस्तुओं या सेवाओं पर निर्भर नहीं है जबकि चीन और अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाएँ विदेशी बाजारों पर टिकी हैं।

प्रो. तेंडुलकर ने कहा है कि मंदी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था दूसरी सबसे तेज उभरती हुई अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। हालाँकि सकल घरेलू उत्पाद में कुछ कमी आएगी और पिछले वर्ष की विकास दर 9.3 की मुकाबले इस वर्ष यह कुछ धीमी रहेगी।

प्रो. तेंडुलकर ने कहा कि देश में मायूसी का माहौल बन रहा है और मंदी बाजार से ज्यादा लोगों की दिमाग में हैं। इससे अर्थव्यवस्था के उद्देश्य प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मानसिकता दुर्भाग्य में बदल जाएगी।

उन्होंने अतिलघु, लघु और मझौले उद्योगों का जिक्र करते हुए कहा कि स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समिति नजर रख रही है और प्रधानमंत्री को इस क्षेत्र की कठिनाईयों से अवगत कराया गया है और उन्होंने इस क्षेत्र की मुश्किलों से निपटने के लिए उठाने की इच्छा दर्शाई है।

प्रो. तेंडुलकर ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक ने इस क्षेत्र की पूँजी उपलब्ध कराने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इसी तरह के उपाय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने भी किए हैं। हालाँकि इनको लागू करने में कुछ दिक्कतें हैं और उन्हें दूर करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशक असंतोषजनक भारतीय परिवेश की बजाय अपने देश में निवेश करना ज्यादा पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी निकासी के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार बेहतर स्थिति में है।

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