Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मंदी का दौर और साल 2009

हमें फॉलो करें मंदी का दौर और साल 2009
-शराफत खान

पिछले एक साल में शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल देखी गई। 21 हजार के स्तर पर पहुँचकर आम निवेशकों को सब्जबाग दिखाने वाले सेंसेक्स का स्तर आठ हजार पर आ गया। बात यहीं खत्म हो जाती तो खैर थी, लेकिन सेंसेक्स में भारी गिरावट के बाद भी अनिश्चितता बनी हुई है। सेंसेक्स नौ हजार से दस हजार के स्तर के बीच झूल रहा है।

बाजार के अनिश्चित व्यवहार से निवेशकों को कई आशंकाओं ने आ घेरा है और उनके पास पूछने को ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब शेयर बाजार के अनिश्चित माहौल में ढूँढना मुश्किल काम है।

शेयर बाजार में निवेश करने वाले वैश्विक स्तर पर छाई आर्थिक मंदी की मार से कब तक उबर पाएँगे? क्या भारतीय बाजार आर्थिक मंदी के बावजूद अपना स्थायित्व कायम रखेंगे? क्या निवेशक मान लें कि उनकी गाढ़ी कमाई मंदी की भेंट चढ़ चुकी है? ये प्रमुख सवाल हैं, जिनके जवाब निवेशक ढूँढ रहा है।

मंदी और साल 2009- हर बार नए साल से उम्मीदें होती हैं और इस साल शेयर बाजार को भी साल 2009 से बहुत आशाएँ हैं। भारतीय बाजारों के लिए यह साल अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में शेयर बाजार के समीकरण भी बदल सकते हैं।

वैश्विक स्तर पर छाई यह आर्थिक मंदी कई महीनों की वित्तीय अनियमितताओं का नतीजा है, इसलिए इसे संभलने में भी समय लगेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि साल 2009 में मंदी से निपटने के प्रयास तेज हो जाएँगे और वैश्विक बाजारों में अपेक्षाकृत स्थिरता देखने को मिलेगी। हालाँकि वैश्विक मंदी से पूरी तरह उबरने के लिए साल 2009 का समय काफी नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह साल मंदी से निपटने के लिए किए गए उपायों के लिए जाना जाएगा।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में मंदी साल 2009 में भी छाई रहेगी। अगर आप सोचते हैं कि साल 2008 विश्व अर्थव्यवस्था के लिए खराब रहा तो साल 2009 आपकी राय बदल देगा, क्योंकि लगातार मंदी की मार झेल रही बड़ी कंपनियों में नौकरियाँ कम होंगी, फैक्टरियाँ बंद होंगी, तरलता की कमी से कई बैंकों के लिए खुद को बचाना मुश्किल होगा। यानी साल 2009 की तस्वीर भयावह है। यूके, यूएस में छाई मंदी के लिए बैल आउट पैकेज काफी नहीं होंगे, बल्कि यहाँ अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत होगी। वैश्विक बाजारों की गिरावट भारतीय बाजारों पर भी दिखेगी और इस दौरान बाजार में अस्‍थिरता कायम रहेगी।

क्या बाजार में किया गया पुराना निवेश डूब चुका है- यह एक अहम सवाल है कि एक साल पहले सेंसेक्स ने जो बहार देखी, क्या वह दोबारा लौटेगी? शेयर बाजार में पिछले साल दिसंबर में जो निवेश हुआ, वह घटकर एक तिहाई रह गया है। ऐसे में निवेशक सोच रहा है कि क्या उसका पैसा बाजार की गिरावट के साथ डूब गया है? इसका जवाब है कि बाजार भले ही ‍कुछ महीनों तक अपना दिसंबर 2007 वाला शबाब न देखे, लेकिन साल 2009 के मध्य में, जबकि लोकसभा चुनाव हो चुके होंगे, बाजार मजबूती से स्थायित्व की तरफ बढ़ेगा, लेकिन बाजार में बहार तभी आएगी, जब वैश्विक बाजार मजबूत होंगे।

यदि निवेशक धैर्य बनाए रखें तो आर्थिक मंदी के छँटते ही वैश्विक बाजारों में मजबूती आएगी और जो विदेशी निवेश भारतीय बाजारों से निकाल लिया गया है, वह वापस लौटेगा। लेकिन यह सब इतनी जल्दी नहीं होगा। हो सकता है कि हमें 2010 तक इंतजार करना पड़े।

अगर दिसंबर 2007 के पहले के निवेशक 2010 तक इंतजार करें तो उन्हें अपने निवेश पर लाभ मिल सकता है। जिन निवेशकों ने खुद का पैसा बाजार में लगा रखा है, वे बाजार के कमजोर होने के बाद भी इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि किसी को जवाब नहीं देना है, लेकिन कुछ लोगों ने शेयर बाजार की बढ़ती चकाचौंध में जोखिम लेकर भारी नुकसान भी उठाया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi