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महंगा हुआ चीनी का आयात, क्या होगा असर...

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नई दिल्ली , सोमवार, 25 अगस्त 2014 (20:35 IST)
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी मिलों पर दबाव कम करने के उद्देश्य से चीनी पर आयात शुल्क 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस कदम से चीनी के दाम बढ़ सकते हैं।

वित्त मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी गई कि चीनी मिल इन दिनों किसानों की बकाए गन्ना मूल्य की समस्या से जूझ रहे हैं। आयात शुल्क में वृद्धि किए जाने के कारण अब चीनी का आयात काफी मुश्किल होगा और विश्व बाजार में इसकी कीमत भी गिरेगी।

पिछले दिनों खाद्यमंत्री रामविलास पासवान ने चीनी का आयात शुल्क 40 प्रतिशत तक किए जाने का संकेत दिया था।
पासवान ने चीनी मिलों के साथ हाल ही में एक बैठक की थी और उन पर किसानों के बकाए के भुगतान के लिए दबाव भी बनाया था।

उपभोक्ता मामले मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अधिशेष स्टॉक के चलते घरेलू बाजार में वर्तमान में चीनी के दाम 34 से 40 रुपए किलो के दायरे में बोले जा रहे हैं। चीनी के दाम मिलों की उत्पादन लागत से भी नीचे जाने से मिलों के समक्ष नकदी का संकट खड़ा हो गया, इसका असर उनके मुनाफे पर भी पड़ रहा है।

उद्योग के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की मिलें 30.50 रुपए किलो पर चीनी बेच रही हैं जबकि उनकी उत्पादन लागत 37 रुपए किलो बैठ रही है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में मिलें 28.50 रुपए किलो पर चीनी बेच रहीं हैं जबकि उत्पादन लागत 31 रुपए किलो तक है।

भारतीय चीनी मिल संघ ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुये कहा है कि इससे मिलों में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा और किसानों के बकाए का भुगतान हो सकेगा।

इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'हम फैसले का स्वागत करते हैं। मौजूदा वैश्विक कीमतों और रपया-डालर विनिमय दर पर आयात शुल्क में की गई इस वृद्धि से चीनी आयात में कमी आयेगी, जिससे घरेलू बाजार में स्थितियां सुधरेंगी।'

देशभर में इस समय गन्ना किसानों का 6,800 करोड़ रुपए का बकाया है। इसमें सबसे ज्यादा 5,000 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश की मिलों में बकाया है।

सरकार ने मिलों की नकदी की स्थिति में सुधार के लिए कई उपायों की घोषणा की है। हाल ही में मिलों के लिए 6,600 करोड़ रुपए की ब्याज मुक्त कर्ज की योजना जारी की गई ताकि गन्ना उत्पादक किसानों का बकाया चुकाया जा सके। सरकार मिलों को चीनी निर्यात पर भी सब्सिडी दे रही है।

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