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सार्वजनिक बैंकों का डूबत ऋण बढ़ा : जेटली

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 1 अगस्त 2014 (18:14 IST)
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नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में वृद्धि आर्थिक मंदी के कारण हुई है, इसके बाद भी 2014 में 33,486 करोड़ रुपए की वसूली की गई है

लोकसभा में मनोज राजोरिया और चंद्रकांत खरे के प्रश्न के उत्तर में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में बैंकों का ‘डूबत ऋण’ बढ़कर 2,45,809 करोड़ रुपए हो गया, जो 2012-13 में 1,83,854 करोड़ रुपए और 2011-12 में 1,37,102 करोड़ रुपए था।

उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी के कारण पिछले दो-तीन वर्षों में देश में गैर निष्पादित आस्तियां बढ़ीं।

जेटली ने कहा कि 2013-14 में एनपीए अनुपात बढ़कर 4.03 प्रतिशत हो गया, जो 2012-13 में 3.42 प्रतिशत और 2011-12 में 2.94 प्रतिशत रही थी।

वित्तमंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में आर्थिक मंदी के कारण कई उद्योगों को घाटा हुआ जिसमें कारण वे ऋण का भुगतान करने में अक्षम हुए।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई लोग ऐसे होते हैं जिनकी नीयत अच्छी नहीं होती है। वे ऋण को नहीं लौटाना चाहते हैं।

जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ‘डूबत ऋण’ को वसूलने के लिए कई कदम उठाए हैं जिसके कारण 2014 में 33,486 करोड़ रुपए की वसूली की। 2013 में 19,832 करोड़ रुपए और 2012 में 17,272 करोड़ रुपए की वसूली हुई थी। (भाषा)

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