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सोना खरीदना भारतीयों के लिए रहा कारगर

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नई दिल्ली , बुधवार, 4 मार्च 2015 (16:58 IST)
नई दिल्ली। भारतीयों को सोना नहीं खरीदने के लिए कहना वैसा ही है, जैसे अमेरिकियों से कहा  जाए कि वे शराब न पीएं। यह बात अरबपति निवेशक थॉमस कैपलन ने कही।

 
भारत की सोने की भूख की प्रशंसा करते हुए कैपलन ने कहा कि सोना भारत के लिए पारंपरिक तौर  पर संपत्ति संग्रह का बहुत अच्छा तरीका रहा है और उन्होंने कहा कि चीन विशेष तौर पर और  खुलकर अपनी जनता को सोना खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
 
भारत वैश्विक स्तर पर सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और हर साल 800-1000 टन सोने का  आयात करता है।
 
उन्होंने सीआईआई के एक समारोह के मौके पर कहा कि मुझे लगता है कि सोना या सोने के आयात  पर प्रतिबंध लगाना उतना ही सफल रह सकता है जितना कि अमेरिकियों से यह कहना कि वे शराब न पीएं। 
 
उन्होंने कहा, शराबबंदी सफल न रहने पर आखिर किसी को तो वास्तविकता स्वीकार करनी होगी। वे इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश सफल होगी या नहीं?
 
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2015-16 में स्वर्ण बांड के विमोचन और मौद्रीकरण समेत 3 योजनाओं का प्रस्ताव किया है ताकि सोने के आयात पर लगाम लगे और देश में बेकार पड़े सोने  के विशाल भंडार को बाजार में लाया जा सके।
 
सोने के निवेश के प्रचारक के तौर पर जाने वाले कैपलन ने कहा कि सोने के मूल्य से स्पष्ट है कि  पिछले कुछ वर्षों में जिन भारतीयों ने सोना खरीदा है, वे जब पीछे मुड़कर देखेंगे तो वे कह सकते हैं  कि यह सफल रहा। इसी को सकारात्मक सुदृढ़ीकरण कहते हैं। (भाषा)

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