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युवा क्यों बदलना चाह रहे हैं नौकरी

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मुंबई। देश में रोजगार के मौकों की नई लहर के बीच कर्मचारियों के अगले एक साल में नौकरी बदलने की संभावना अधिक हैं। यह बात एक सर्वेक्षण में कही गई। माइकेल पेज इंडिया की कर्मचारी आकांक्षा रिपोर्ट, 2015 में कहा गया कि करीब 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि वे पिछले 12 महीनों में साक्षात्कार के लिए गए।
उन्होंने कहा कि करीब 82 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे अगले 12 महीनों में भूमिका बदल सकते हैं। कर्मचारियों के नौकरी छोड़कर जाने की रफ्तार से कर्मचारियों की आकांक्षाएं बढ़ी हैं और ज्यादातर कर्मचारी अपनी भूमिका में बदलाव के इच्छुक हैं और 26 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं की इसमें रचि दिखी।
 
इसके मद्देनजर करीब 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने संकेत दिया कि वे अगले 12 महीनों में निश्चित तौर पर विदेश में रोजगार के मौके तलाशेंगे। बहुत से उत्तरदाताओं ने यह भी संकेत दिया कि वे विश्व में कहीं भी जाना चाहेंगे और एशिया में सबसे पसंदीदा स्थान सिंगापुर था। कर्मचारियों को अपने यहां रोके रखने की रणनीति के आकलन से स्पष्ट है कि वित्तीय प्रोत्साहन कर्मचारियों को मौजूदा भूमिका में रोकने में सबसे अधिक (21 प्रतिशत) सफल है।
 
मजबूत नेतृत्व दूसरे स्थान पर है, क्योंकि 19 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यह अच्छे प्रबंधकों पर निर्भर करता है कि वे उसी संस्थान में बने रहने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा 70 प्रतिशत कर्मचारी चाहते हैं कि वे 12 महीने में प्रोन्नति मांगे जबकि सिर्फ 46 प्रतिशत कर्मचरियों को प्रोन्नति मिलने की उम्मीद है।
अगले पन्ने पर, महिला- पुरुषों में विषमताएं...
 
 

जहां तक प्रोन्नति का मामला है महिला एवं पुरुष कर्मचारियों के बीच हल्की-सी विषमता है। 50 प्रतिशत पुरुष कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें प्रोन्नति मिली जबकि 46 महिला कर्मचारियों ने प्रोन्नति की बात स्वीकार की। करीब दो-तिहाई (65 प्रतिशत) कर्मचारियों ने कहा कि दूसरे संस्थान में जाने की मुख्य वजह है करियर में प्रगति। इसके बाद 45 प्रतिशत ऐसे उत्तरदाता रहे, जो कंपनी की ब्रांड एवं प्रतिष्ठा के कारण मौजूदा संस्थान छोड़ना चाहते हों।
 
सर्वेक्षण में पाया गया कि 52 प्रतिशत महिला उत्तरदाता वेतन के मुकाबले कंपनी के ब्रांड और प्रतिष्ठा को ज्यादा तवज्जो देती हैं जबकि 57 प्रतिशत पुरुष उत्तरदाताओं ने कहा कि वे ज्यादा वेतन को तरजीह देते हैं। वैश्विक स्तर पर सकारात्मक रोजगार बाजार के बीच भारत के पास बेहतर अंतरराष्ट्रीय मौके होंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर भारतीय अपेक्षाकृत अधिक समय तक काम करते हैं और 34 प्रतिशत ने कहा कि वे हर सप्ताह 51 घंटे से अधिक काम करते हैं।
 
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के प्रतिभाशाली कर्मचारियों में, निश्चित तौर पर अपार संभावनाएं हैं। बाजार फिलहाल अपने महत्वपूर्ण स्तर पर है और कंपनियां अपने अच्छे कर्मचारियों को रोकने के लिए रणनीति बनाते हुए जमीनी हकीकत पर ध्यान देंगी।  माइकेल पेज इंडिया के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक सेबेस्टियन हैंपार्टजुमियन ने कहा कि हमें ऐसे रुझान दिख रहे हैं जिसमें कंपनियां कर्मचारियों को भारी-भरकम वेतन और अन्य फायदे देने पर गौर करेंगी। यह रिपोर्ट भारत में 300 से अधिक कर्मचरियों के सर्वेक्षण और हजारों पेशेवरों से बातचीत से मिली जानकारी पर आधारित है।
 
इस सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि भारतीय कंपनियां विविधता के एजेंडे को आगे बढ़ाने के मामले में पीछे हैं क्योंकि 42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने संकेत दिया कि उन्हें अपनी कंपनी की विविधता नीति के बारे में पता नहीं है। (भाषा)
 

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