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कैम्ब्रिज में रेफरल करा रही है आईसीसी

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दुबई , बुधवार, 15 फ़रवरी 2012 (22:28 IST)
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अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) में इस्तेमाल की जाने वाली विवादास्पद बॉल ट्रैकिंग तकनीकों पर अब खुद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने रेफरल मांगा है। आईसीसी के प्रस्ताव पर एक नामचीन निजी कंपनी बॉल ट्रैकिंग की दो प्रमुख तकनीकों पर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में परीक्षण कर रही है।

आईसीसी के महाप्रबंधक डेव रिचर्डसन ने कहा कि बॉल ट्रैकिंग की हाक आई और वर्चुअल आई तकनीकों का परीक्षण कंप्यूटर विजन कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड से कराया जा रहा है। इन परीक्षणों के परिणाम आईसीसी की क्रिकेट समिति को सौंपे जाएंगे, जिन पर समिति की आगामी मई में होने वाली बैठक में चर्चा होगी।

रिचर्डसन ने कहा हम देखना चाहते हैं कि इन दोनों में से कौनसी तकनीक ज्यादा सटीक है और प्रयोग में लाने के लायक है। गेंद के बल्ले को हिट करने की तकनीक पर आधारित विश्लेषण ज्यादा तर्कसंगत है या फिर गेंद की गति के आधार पर स्टंप्स की ओर उसके जाने का अंदाजा लगाना ज्यादा अच्छा रहेगा।

रिचर्डसन ने बताया कि इस विश्लेषण में खासतौर पर इस बात का पता लगाया जा रहा है कि ये प्रणालियां आनुपातिक रूप से कितनी सटीक साबित हो रही हैं।

उन्होंने कहा उदाहरण के लिए एक टेस्ट में पगबाधा की औसतन 60 अपीलें की जाती हैं। अगर कोई बॉल ट्रैकिंग प्रणाली इनमें से 50 ही अपीलों पर सही निर्णय कर पा रही हो तो यह स्थिति भरोसेमंद नहीं है लेकिन यदि कोई प्रणाली 97 प्रतिशत तक सही निर्णय दे पाए तो उसे स्वीकार किया जा सकता है।

रिचर्डसन ने साथ ही कहा कि 2008 में इन प्रणालियों को लागू किये जाने से पहले मैन्युअल तौर पर इनकी समीक्षा हुई थी लेकिन अब एक पूर्णत स्वतंत्र संस्था द्वारा इसकी विस्तृत समीक्षा हो रही है ताकि दोनों कंपनियों के दावों का सही परीक्षण हो सके।

उल्लेखनीय है कि डीआरएस के धुर विरोधी रहे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी बॉल ट्रैकिंग प्रणाली पर ही सबसे ज्यादा सवाल किये थे और कहा था कि तकनीक जब तक पूरी तरह सटीक नहीं हो जाए तब तक इसे अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। (वार्ता)

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