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जानबूझकर चोट छिपाते हैं खिलाड़ी

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नई दिल्ली , गुरुवार, 8 सितम्बर 2011 (01:08 IST)
इंग्लैंड दौरे पर चोटिल होते भारतीय खिलाड़ियों की लंबी फेहरिस्त ने पूरे क्रिकेट जगत को सोचने पर मजबूर किया है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि क्रिकेट ही नहीं, हर खेल में खिलाड़ी जानबूझकर अपनी चोट छिपाते हैं और यह लापरवाही उनका पूरा करिअर ही चौपट कर सकती है।

कई प्रसिद्ध खिलाड़ियों का सफल इलाज कर चुके चिकित्सक और आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. राजू वैश्य ने बताया कि खेल के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव और बार-बार लगने वाली चोटखिलाड़ियों को लंबे समय तक मैदान से बाहर कर देती है लेकिन इनका सही समय पर उपचार किया जाए तो कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं होगी।

उन्होंने कहा खिलाड़ी टीम से बाहर होने के भय से कई बार चोट छिपा जाते हैं। थोड़े बहुत उपचारों से वह अपने को खेलने लायक बना लेते हैं लेकिन इससे उनका पूरा इलाज नहीं होता है और चोट किसी दिन विकराल रूप ले लेती है।

वैश्य ने कहा कि खेलों के दौरान लगने वाली चोटों में से 99 प्रतिशत का शर्तिया इलाज है लेकिन खिलाडी समय की आपाधापी में इन्हें नजरअंदाज करते हैं जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि खेलों के दौरान चोट की सबसे ज्यादा 20 प्रतिशत घटनाएं घुटने की चोट की होती हैं और अक्सर इन मामलों में टीम के फीजियोथेरेपिस्ट प्राथमिक उपचार कर खिलाड़ी को दोबारा मैदान में उतार देते हैं लेकिन ऐसा करना खिलाड़ी के लिहाज से बेहद नुकसानदेह है।

वैश्य ने कहा कि टीमों में केवल फीजियोथेरेपिस्ट रखे जाने के बजाय प्रशिक्षित आर्थोपेडिक सर्जन और फीजियोथेरेपिस्ट भी शामिल किए जाने चाहिए तथा खिलाड़ियों को चोटों से बचने के बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए। (वार्ता)

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