Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सहवाग का श्रेष्ठ विकल्प अजिंक्य रहाणे

- सीमान्त सुवीर

हमें फॉलो करें सहवाग का श्रेष्ठ विकल्प अजिंक्य रहाणे
FILE
भारत के युवा बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ने इंग्लैंड में जिस तरह केवल दो वनडे मैचों में बड़बोले अंग्रेज गोलंदाजों की चकाचक धुनाई की है, उसे देखकर महसूस होने लगा है कि यही वह खिलाड़ी है जो वीरेन्द्र सहवाग का सर्वश्रेष्ठ विकल्प साबित हो सकता है।

एक तरफ जहां इंग्लैंड दौरे में भारतीय बल्लेबाज इंग्लैंड के तेज आक्रमण के सामने डरे-दुबके नजर आ रहे थे, वहीं दूसरी तरफ अजिंक्य रहाणे ने टीम इंडिया में शामिल होने के अवसर को हाथों-हाथ भुनाया और इंग्लिश गेंदबाजी की बखिया उधेड़कर रख दी। भारत भले ट्‍वेंटी-20 के साथ ही पहले दोनों वनडे मैच हारा हो, लेकिन इन मैचों में भी अजिंक्ने अपनी छाप छोड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।

रहाणे ने कम से कम टीम इंडिया की उस परेशानी को तो दूर कर ही दिया जिसमें कहा जा रहा था कि गौतम गंभीर और सहवाग की गैरमौजूदगी के बाद सचिन तेंडुलकर की 8 साल बाद फिर से उबर आई चोट के चलते पारी की शुरुआत कौन करेगा?

अजिंक्य का जन्म महाराष्ट्र के नल्लासोपरा नामक स्थान पर 5 जून 1988 को हुआ। 23 साल 295 दिन के रहाणे इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस और राजस्थान रॉयल्स की तरफ से मैदान पर अपने जौहर दिखला चुके हैं।

जब वे 31 अगस्त को मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ खेले जाने वाले एकमात्र ट्‍वेंटी-20 क्रिकेट मैच में भारतीय टीम के हिस्सा बने तो कोई नहीं जानता था कि भारत को एक शानदार ओपनर बल्लेबाज मिलने जा रहा है। इस मैच में भारत भले ही हारा हो, लेकिन अजिंक्य ने 61 रनों की तूफानी बल्लेबाजी से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया।

अजिंक्य ने अब तक केवल 2 वनडे मैच खेले हैं, जिसमें वे कुल 94 रन बनाने में सफल हुए हैं। 3 सितम्बर 2011 को चेस्टर ली स्ट्रीट में उनके वनडे करियर का डेब्यू था। बारिश की भेंट चढ़े इस मैच में उन्होंने 40 रनों की पारी खेली जबकि 6 सितम्बर 2011 को साउथेम्पटन में 23-23 के मैच में उनके बल्ले से 47 गेंदों में 54 रन निकले।

इसमें कोई दो राय नहीं कि अजिंक्य में असीम प्रतिभा है। फ्रंटफुट और बैकफुट पर आकर गेंदों की धुनाई करते हुए अजिंक्य लाजवाब स्ट्रोक प्लेयर लगते हैं। इंग्लैंड की विकेटों पर जिस तरह से उन्होंने लाजवाब बल्लेबाजी की है, उससे टीम में मौजूद अन्य क्रिकेटरों को सीख लेनी चाहिए और यह सोचना बंद कर देना चाहिए कि इंग्लिश गेंदबाज हौव्वा हैं।

इंग्लैंड दौरे में सिर की चोट की वजह से घायल हुए गौतम गंभीर की आंखें कब तक ठीक होगी, पता नहीं, सहवाग के कान का इन्फेक्शन और सिर का दर्द कब दूर होगा कोई नहीं जानता, ऐसे में भारतीय क्रिकेट को चलाने वाले प्रशासकों को चाहिए कि वह अजिंक्य जैसे युवा और प्रतिभाशाली बल्लेबाज को लगातार अवसर दे, वरना हिंदुस्तान में प्रतिभा को गला देने की परंपरा बहुत पुरानी है।

ऐसा न हो कि टूटे-फूटे गंभीर-सहवाग अपने पुराने कारनामों (मैदान पर किए गए प्रदर्शन) के बूते पर फिर से टीम में जगह बनाकर अजिंक्य रहाणे जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी की प्रतिभा को हमेशा के लिए दफन कर दे। पहले भी ऐसा होता आया है और कई खिलाड़ी गुमनामी के अंधेरे में चले गए हैं। याद रहे कि भारत के चतुर, चालाक और बहुत ज्यादा समझदार चयनकर्ता कभी भी, कुछ भी और कैसा भी फैसला लेने में कोई परहेज नहीं करते।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi