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नागपुर में फिर लगेगा स्पिन का ‘डंक’

हमें फॉलो करें नागपुर में फिर लगेगा स्पिन का ‘डंक’
, मंगलवार, 24 नवंबर 2015 (14:50 IST)
नागपुर। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच बुधवार से यहां शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट में एक बार फिर स्पिनरों का डंका बजने की उम्मीद है और सीरीज कब्जा जमाने से एक कदम दूर खड़ी मेजबान टीम का लक्ष्य भी अपने गेंदबाजों के इसी कातिलाना प्रदर्शन को दोहराकर जीत दर्ज करना है।
         
भारत मोहाली टेस्ट जीतकर पहले ही सीरीज में 1-0 की बढ़त बना चुका है जबकि दूसरा बेंगलुरु टेस्ट ड्रा रहा था। नागपुर के जमाथा स्टेडियम में भी एक बार फिर स्पिनरों के लिए पिच मददगार साबित होने का अनुमान है और यदि ऐसा होता है तो भारतीय स्पिनर एक बार फिर विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम पर जीत दिलाने में अहम साबित होंगे। 
         
यहां 25 से 29 नवंबर तक चलने वाले तीसरे टेस्ट में जीत भारत को टेस्ट सीरीज भी दिला देगी जो कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में पहली घरेलू टेस्ट सीरीज है। उल्लेखनीय है कि भारत ने ट्वंटी 20 और वनडे सीरीज दोनों ही दक्षिण अफ्रीका से गंवाई हैं। लेकिन टेस्ट सीरीज में अच्छी शुरुआत और भारतीय स्पिनरों के निरंतर प्रदर्शन से टीम का आत्मविश्वास लौटा है।
         
मोहाली टेस्ट में भारत की जीत के हीरो रहे लेफ्ट आर्म स्पिनर रवींद्र जडेजा और आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन अब तक 12-12 विकेट ले चुके हैं और दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द बन चुके हैं जबकि एक मैच में लेग स्पिनर अमित मिश्रा के नाम तीन विकेट दर्ज हैं। दूसरी ओर दक्षिण अफ्रीका की ताकत उसकी बल्लेबाजी है लेकिन वे भी भारतीय गेंदबाजों के सामने खासा संघर्ष कर रहे हैं। 
          
धाकड़ बल्लेबाज एबी डीविलियर्स को छोड़ दें तो फाफ डू प्लेसिस ने तीन पारियों में कुल एक रन ही बनाया है जबकि कप्तान हाशिम अमला अपनी निजी फार्म को लेकर जूझ रहे हैं। दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजी की रीढ़ माने जाने वाले अमला ने अब तक कुल 50 रन ही बनाए हैं जबकि स्टार ऑलराउंडर जेपी डुमिनी ने एक मैच में 15 रन बनाए हैं। इसके अलावा टीम खिलाड़ियों की फिटनेस समस्या से भी खासी परेशान है जो निश्चित ही भारत के लिए फायदे का सौदा है।
 
भारतीय ओपनर मुरली विजय ने नागपुर टेस्ट को लेकर कहा था कि इस मैच में दबाव मेहमानों पर होगा। जाहिर है कि 0-1 से पिछड़ चुकी दक्षिण अफ्रीका यदि इस मुकाबले में हारी तो वह टेस्ट सीरीज भी गंवा देगी और इससे विदेशी जमीन पर उसका पिछला अपराजेय रिकार्ड भी ध्वस्त हो जाएगा। दुनिया की शीर्ष टेस्ट टीम दक्षिण अफ्रीका ने पिछले नौ वर्षों में विदेशी जमीन पर कोई सीरीज नहीं गंवाई है। 
          
दक्षिण अफ्रीका ने फरवरी 2010 में जमाथा स्टेडियम पर भारत के खिलाफ अपने आखिरी मैच में पारी और छह रन से टेस्ट जीता था और उसकी कोशिश हर हाल में सीरीज में बने रहने की होगी जबकि भारत अपनी जीत को अंतिम टेस्ट तक नहीं खिंचना चाहेगा। 45 हजार दर्शक क्षमता वाले इस स्टेडियम में भारत का रिकार्ड भी अच्छा रहा है और उसने यहां वर्ष 2008 में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ष 2010 में जीत दर्ज की थी।
          
स्पिनरों जडेजा, अश्विन और मिश्रा के अलावा तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा भी इस पिच पर भारत के लिए अहम साबित हो सकते हैं। इशांत का यहां बेहतरीन रिकार्ड रहा है और वह इस मैदान पर 14 विकेट लेकर सबसे सफल गेंदबाज हैं। हालांकि दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज डेल स्टेन का भी इस मैदान पर रिकार्ड अच्छा है लेकिन वह फिलहाल फिट नहीं हैं और उनके स्थान पर मर्चेंट डी लांगे को कवर के तौर पर शामिल किया गया है।
         
स्टेन की अनुपस्थिति में भारतीय बल्लेबाजों को कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि ओपनिंग बल्लेबाज शिखर धवन की फार्म कुछ खास नहीं है। ड्रॉ रहे बेंगलुरु टेस्ट में शिखर ने जरूर नाबाद 45 रन की पारी खेली थी और कुछ सकारात्मक संकेत दिया था लेकिन उनका असल टेस्ट नागपुर में होगा। कप्तान विराट ने धवन की फार्म का बेंगलुरु में काफी बचाव किया था और ऐसे में धवन के लिए इसे साबित करना बड़ी जिम्मेदारी रहेगी।
 
स्पिनरों के लिए मददगार रही मोहाली की पिच पर भारतीय बल्लेबाजों को भी बहुत संघर्ष करना पड़ा था और भारत की पहली पारी 201 और दूसरी पारी 200 रन पर सिमट गई थी। धवन इस मैच में दोनों पारियों में शून्य पर आउट हुए थे लेकिन उम्मीद है कि बेंगलुरू की पारी से उनका आत्मविश्वास लौटा होगा। 
          
मोहाली में टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबाज पुजारा ने 31 और 77 रन की तथा मुरली ने 75 और 47 रन की अहम पारियां खेली थीं और नागपुर में बोर्ड पर रन बनाने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर होगी। कप्तान विराट ने भी अब तक 30 रन ही बनाए हैं और उनसे भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। बल्लेबाजी में भारतीय टीम की बड़ी समस्या उसका निचला क्रम भी है जो अहम मौकों पर निराश कर देता है और इस दिशा में भी कुछ मेहनत करने की जरूरत है।
 
भले ही टेस्ट कप्तान को बल्लेबाजी बड़ी समस्या न लग रही हो लेकिन दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों स्पिनर इमरान ताहिर, दक्षिण अफ्रीका के वर्ष के सर्वश्रेष्ठ नवोदित खिलाड़ी पुरस्कार से नवाजे गए कैगिसो रबादा, डीन एल्गर और साइमन हार्मर भारतीय बल्लेबाजों की परीक्षा ले सकते हैं। टीम के लिए ताहिर टेस्ट सीरीज में 13.33 के औसत से अब तक छह विकेट लेकर सबसे सफल गेंदबाज रहे हैं जबकि हार्मर ने पांच विकेट चटकाए हैं।
         
अमला की फार्म खराब है, स्टेन फिट नहीं हैं और उनका नागपुर में खेलना संदिग्ध है जबकि डुमिनी चोट से उबरकर टीम में वापसी कर रहे हैं, इन सभी समस्याओं के कारण दक्षिण अफ्रीका पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी काफी बढ़ा है और यह भारतीय टीम के लिए एक जबरदस्त मौका हो सकता है जिसका फायदा उठाकर वह फ्रीडम सीरीज में सीमित ओवर प्रारूप में मिली शिकस्त से उबरकर इस प्रारूप में जीत दर्ज करे। हालांकि अहम मौकों पर आकर परिणाम बदलने में सक्षम दक्षिण अफ्रीका को हल्के में लेना टीम इंडिया को महंगा पड़ सकता है।

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