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महिला क्रिकेट के साथ बीसीसीआई का सौतेला व्यवहार

हमें फॉलो करें महिला क्रिकेट के साथ बीसीसीआई का सौतेला व्यवहार
मथुरा , सोमवार, 20 अक्टूबर 2014 (23:31 IST)
मथुरा। भारतीय महिला क्रिकेट एसोसिएशन की सचिव एवं लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर की बहन नूतन गावस्कर ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के निर्देशों का पालन न करने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच के लिए प्रेक्षक भेजने का अनुरोध किया है। 
 
नूतन ने कहा कि वर्ष 2006 में आईसीसी ने बीसीसीआई को अखिल भारतीय महिला क्रिकेट एसोसिएशन को अपने संगठन में शामिल करने का  निर्देश दिया था, लेकिन उसने खानापूर्ति करते हुए मात्र 25-30 महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को ही लिया है। 
 
उन्होंने बीसीसीआई पर महिला क्रिकेट के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने पिछले आठ वर्ष में कोई भी महिला क्रिकेट टेस्ट आयोजित नहीं किया है। उन्हें नहीं मालूम कि अगला महिला क्रिकेट टेस्ट कब आयोजित होगा। 
 
नूतन ने कहा कि देश में करीब 100 महिला क्रिकेट खिलाड़ी हैं जिन्हें बीसीसीआई ने छोड़ दिया है। नूतन ने कहा, बीसीसीआई महिला क्रिकेट एसोसिएशन को न तो खेल मैदान दे रहा है और न ही कोच आदि की व्यवस्था कर रहा है। 
 
नूतन ने बताया कि अखिल भारतीय महिला क्रिकेट एसोसिएशन आईपीएल की तर्ज पर लीग शुरू करने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए प्रायोजक की तलाश की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि इसके शुरू होते ही देश में महिला क्रिकेट के बारे में जागृति पैदा होगी।
 
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिला क्रिकेट में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जरूरत बस उन्हें प्रोत्साहन देने की है। आईपीएल की सफलता के बाद गांवों में महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। 
 
महिला क्रिकेट एसोसिएशन की सचिव ने बताया कि इसमें पहले भारत की ही महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को भाग लेने का अवसर मिलेगा लेकिन बाद में अंतरराष्‍ट्रीय महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को भी शामिल किया जाएगा। 
 
पूर्व टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी माधव मंत्री की भानजी एवं रोहन गावस्कर की बुआ नूतन ने कहा कि महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार को लड़कियों को छात्रवृत्ति देनी चाहिए। उन्होंने महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की भी मांग की। 
 
नूतन ने कहा कि वर्ष 1971 में महिला क्रिकेट की शुरुआत मुंबई से की गई थी जिसे वर्तमान स्थिति तक लाने में बहुत मेहनत करनी पड़ी है, लेकिन बीसीसीआई का सहयोग न मिलने से अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है। (वार्ता)

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