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विराट जले, मगर अगरबत्ती की तरह...

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नरेन्द्र भाले

शनिवार को क्रिकेट का रोमांच, टेंशन अपने चरम पर था। सिटी ऑफ जॉय की फिजाओं में उत्साह तो था, लेकिन खिलाड़ियों से लेकर दर्शकों के चेहरों पर चिंताओं की लकीरें साफ नजर आ रही थीं। वर्षा के बाद तो शंकाओं का धुंधलापन साफ नजर आ रहा था। ओवरों की संख्या घटी, लेकिन शुक्र ऊपर वाले का जिसने बरसना बंद कर खिलाड़ियों को बरसने का मौका दे दिया। सिक्के की उछाल कितनी महत्वपूर्ण थी, इसका अंदाजा पारी के दूसरे ओवर में ही लग गया, जब अश्विन की गेंदें न केवल घूम रहीं थीं, बल्कि मेंढक के मानिंद उछल भी रहीं थी। 
मतलब साफ था कि बगैर घास का विकेट न केवल आगाज में ही घूम रहा था बल्कि उसकी स्पंजी उछाल बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द बन गई। पहले छोर से नेहरा बेहद प्रभावशाली थे तो बाद में विकेट का पूरा फायदा जड़ेजा ने उठाकर बल्लेबाजों को 'जड़' कर दिया।
 
अफरीदी बिला वजह ऊपर आए जबकि वहां शोएब मलिक को होना था जो सीधे बल्ले से खेलते हैं। बाद में उन्होंने कुछ रन तो बना ही दिए, जिससे पाक का स्कोर 100 के पार पहुंच गया। शुरुआत में ही हार्दिक पांड्‍या ने जो कैच अफरीदी का पकड़ा था, वह बाज क्षेत्ररक्षण की उत्कृष्ट मिसाल था।
 
जवाब में एक बार फिर रोहित, धवन, रैना ने निराश किया। इसे हम भाग्य का ही लेखा समझ सकते हैं कि इसके बाद विकेट पर ऐसा जादूगर, फनकार आया, जिसने अपनी कूटनकाटी से दर्शा दिया कि चाहे विकेट खराब हो या प्रेशर कुकर स्थिति बने, रन बेहद नजाकत, लक्षकारी तथा उत्कृष्ट समय साधना से भी बनाए जा सकते हैं। अफरीदी जैसा बम बनने की या फिर ब्लाइंड बल्ला चलाने की कतई आवश्यकता नहीं थी। युवराज ने दूसरे छोर को संभाल लिया और बाद में परिणाम भिगोया, धोया और हो गया।  
 
इसमें संदेह नहीं कि बाद में विकेट में पहली पारी की तरह जान नहीं थी लेकिन अफरीदी ने चार तेज गेंदबाज और केवल एक स्पिनर खिलाने का खामियाजा वर्ल्ड कप में ग्यारहवीं पराजय के रूप में चुकाया। इस जीत को मैं विराट के लड़ाकू जज्बे को स‍मर्पित करना चाहता हूं। प्रवाह की दिशा में तैरना हमेशा आसान होता है लेकिन उसके विपरीत दिशा में सकुशल किनारा पकड़ना निश्चित ही कोई विराट से सीखे। 
 
मैं अक्‍सर पंडित भीमसेन जोशी की गायकी, उस्ताद अल्ला रख्खा का तबला, पंडित शिवप्रसाद शर्मा का संतूर, आशा भोसले की मुरकी, बोरिस बेकर का पावर, गेब्रिएला सबातिनी की भारतीय टच वाली खूबसूरती का कायल रहा हूं। मेरे दिल में सचिन की जगह धड़कन की तरह है, लेकिन अब यहां लिखने में कतई संकोच नहीं है कि पाक के विरुद्ध एशिया कप तथा कल ईडन गार्डन पर खेली गई विराट पारियां किसी परीकथा से कम नहीं है। ऐसा लग रहा था मानों हम किसी संगीत की महफिल में बैठे हैं एवं आंखों को सुकून के साथ-साथ नाक को उदात्त अगरबत्ती की महक मदहोश कर रही है। 
 
अंत में पाक के खिलाफ हमें शत-प्रतिशत सफलता हासिल करने का मौका संयुक्त प्रयास तथा विराट के स्पेशल सौजन्य से मिला और पूरे भारत को होली के पूर्व ही जश्ने दीपावली का आनंद। वाकई इस विराट रूपी अगरबत्ती की मुश्क, महक लंबे समय तक मदमस्त करती रहेगी। 


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