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कुंबले के संन्यास के बाद स्पिन का हुआ बंटाढार

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नई दिल्ली , रविवार, 28 अगस्त 2011 (23:30 IST)
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स्पिन गेंदबाजी को कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती थी लेकिन अनिल कुंबले के संन्यास लेने के बाद यह उसकी कमजोरी बनती जा रही है।

इंग्लैंड के हाथों टेस्ट श्रृंखला में 0-4 की हार के दौरान भारतीय स्पिनरों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा और इसीलिए कई पूर्व क्रिकेटरों ने इसके भारत का ‘सबसे कमजोर पक्ष’ करार दिया।

वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान क्लाइव लॉयड के शब्दों में, ‘स्पिन के लिहाज से यह सबसे कमजोर टीम थी जबकि भारत के पास हमेशा अच्छे स्पिनर रहे हैं। यह सिर्फ इंग्लैंड के इस दौरे में नहीं बल्कि कुंबले के संन्यास लेने के बाद से ही स्पिन गेंदबाजी में भारत कमजोर होता जा रहा है। आंकड़े इसके गवाह हैं।'

कुंबले के संन्यास के बाद भारत ने जो 31 टेस्ट मैच खेले उनमें तेज गेंदबाजों ने 254 विकेट लिए जबकि हरभजन सिंह की मौजूदगी के बावजूद स्पिनरों के नाम पर 214 विकेट ही दर्ज रहे। यह नहीं भूलना चाहिए कि इस दौरान भारत ने 18 मैच भारतीय उपमहाद्वीप में खेले, जहां की पिचों को स्पिनरों के अनुकूल माना जाता है।

कुंबले के संन्यास लेने के बाद हरभजन ने सर्वाधिक 107 विकेट लिए लेकिन उनका औसत 35.73 रहा जो उनके ओवरऑल औसत से अधिक है। भारत ने इस बीच केवल तीन मुख्य स्पिनर आजमाए लेकिन प्रज्ञान ओझा (42 विकेट) और मिश्रा (34 विकेट) कुंबले की कमी पूरी नहीं कर पाए। इस बीच केवल हरभजन तीन बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट ले पाए।

इन दो वर्ष में भारतीय तेज गेंदबाजों ने 208 विकेट चटकाए, जिनमें से सर्वाधिक 71 विकेट ईशांत शर्मा ने लिए जबकि जहीर खान ने केवल 14 मैच में 63 विकेट अपने नाम किए। टेस्ट मैचों में ही नहीं एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी पिछले दो वर्षों में भारतीय स्पिन गेंदबाज अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे।

युवराज सिंह पिछले कुछ समय से वनडे में भारत के प्रमुख स्पिनर के रूप में उभरे। उन्होंने पिछले दो साल में 37 विकेट लिए। भारतीय स्पिनरों में उनसे अधिक विकेट केवल हरभजन (40 मैच में 49 विकेट) ने लिए।

इस दौरान बांग्लादेश के शाकिब अल हसन ने 68, इंग्लैंड के ग्रीम स्वान ने 59 , बांग्लादेश के अब्दुर रज्जाक ने 57, पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी ने 56 और सईद अजमल ने 49 विकेट हासिल करके खुद को हरभजन से बेहतर स्पिनर साबित किया।

स्वान ने तो इस बीच टेस्ट मैचों में भी 28.10 की औसत से 105 विकेट चटकाए। इनमें भारत के खिलाफ हाल की श्रृंखला के पहले तीन टेस्ट भी शामिल हैं, जिनमें उन्हें गेंदबाजी का ज्यादा मौका ही नहीं मिला और वह केवल चार विकेट ले पाए थे।

भारत ने पिछले दो साल में 63 वनडे मैच खेले, जिनमें स्पिनरों ने 200 जबकि तेज गेंदबाजों ने 230 विकेट लिए। स्पिनरों के खाते में 70 से अधिक विकेट का योगदान तो उन खिलाड़ियों का रहा जिनकी मुख्य भूमिका बल्लेबाज की है और उन्हें केवल पांचवें गेंदबाज के तौर पर गेंद सौंपी जाती रही।

इंग्लैंड में टेस्ट श्रृंखला में भारतीय स्पिनरों के नाम पर केवल दस विकेट दर्ज रहे। इनमें से सर्वाधिक चार विकेट सुरेश रैना ने लिए जिनकी मुख्य भूमिका स्पिनर की नहीं है। मुख्य स्पिनर हरभजन और अमित मिश्रा दो-दो मैच में क्रमश: तीन और दो विकेट ही ले पाए।

दूसरी तरफ स्वान 13 विकेट लेने में सफल रहे। ऐसा नहीं है कि इंग्लैंड की धरती पर भारतीय स्पिनर सफल नहीं रहे। कुंबले ने वहां दस टेस्ट में 36 विकेट लिए हैं।

उनके अलावा बिशन सिंह बेदी ने 12 मैच में 35, भगवत चंद्रशेखर ने नौ मैच में 31, वीनू मांकड़ ने छह मैच में 20, एस. वेंकटराघवन ने दस मैच में 20, सुभाष गुप्ते ने पांच मैच 17 और गुलाम अहमद ने चार मैच में 15 विकेट लिए हैं। स्वयं हरभजन ने इस श्रृंखला से पहले इंग्लैंड में जो दो मैच खेले थे उनमें उन्होंने 13 विकेट लिए थे। (भाषा)

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