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भाग्यशाली नहीं रहा भारत के लिए लॉर्ड्स

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नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 16 जून 2009 (15:55 IST)
जरा याद कीजिए 25 जून 1983 का वह दिन जब लॉर्ड्स में कपिल देव की टीम ने मजबूत वेस्टइंडीज को हराकर भारत को विश्व चैंपियन बनाया था या फिर 13 जुलाई 2002 का वह दिन जब सौरव गांगुली ने जीत की खुशी में लॉर्ड्स की बालकनी से शर्ट हिलाई थी।

भारतीय क्रिकेट को कुछ यादगार पल देने वाले लॉर्ड्स पर 14 जून को भारत का दिल टूट गया। इंग्लैंड से तीन रन की हार के साथ ही महेंद्रसिंह धोनी की टीम ट्वेंटी-20 विश्व कप से बाहर हो गई। लॉर्ड्स पर भारत की ट्वेंटी-20 में यह लगातार तीसरी हार थी।

तो क्या दिलीप वेंगसरकर के तीन टेस्ट शतकों का गवाह रहा यह मैदान अब भारतीयों के लिए भाग्यशाली नहीं रहा। हाल का रिकॉर्ड तो यही कहता है कि लॉर्ड्स के मैदान से भारतीय खिलाड़ियों को मुँह लटकाकर ही पैवेलियन लौटना पड़ रहा है।

राहुल द्रविड़ की अगुवाई में भारतीय टीम 2007 में जब इंग्लैंड दौरे पर गई तो वह सात मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला जीतने की स्थिति में दिख रही थी। पहले छह मैच में दोनों टीमों ने तीन-तीन में जीत दर्ज की थी। निर्णायक मैच लॉर्ड्स में खेला गया और भारतीय टीम सस्ते में ढेर हो गई। इंग्लैंड ने यह मैच सात विकेट से जीतकर 4-3 से श्रृंखला अपने नाम की।

ट्वेंटी-20 विश्व कप में भी लॉर्ड्स में भारत का भाग्य नहीं बदला। धोनी की टीम यहीं पर अभ्यास मैच में न्यूजीलैंड से पिटी और फिर सुपर आठ में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड से शिकस्त मिलने से वह टूर्नामेंट से बाहर हो गई। भारत ने लीग चरण के मैच ट्रेंटब्रिज में खेले थे और उनमें उसे जीत मिली थी।

इस तरह से भारतीय टीम को क्रिकेट के मक्का पर ट्वेंटी-20 में पहली जीत की दरकार है, जिसके लिए उसे लंबा इंतजार करना होगा क्योंकि दक्षिण अफ्रीका से उसे ट्रेंटब्रिज में भिड़ना है।

लॉर्ड्स भारत के लिए विश्व कप 1983 और नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002 की जीत के अलावा कई अन्य बातों के लिए भी महत्वपूर्ण रहा। भारत ने 1932 में इसी मैदान पर पहला टेस्ट मैच खेला था और इस मैच से लेकर उसने यहाँ लगातार छह टेस्ट मैच गँवाए थे।

इसी मैदान पर उसने 1975 में इंग्लैंड से एकदिवसीय विश्व कप का पहला मैच खेला, जिसमें उसे 202 रन से करारी हार मिली लेकिन इसके बाद भारतीय टीम ने लॉर्ड्स पर लगातार चार वन डे मैच जीते। इनमें से उसने एक बार वेस्टइंडीज और तीन बार इंग्लैंड को हराया।

कपिल की टीम ने 1983 में जहाँ 183 रन के कम लक्ष्य का सफल बचाव करके 43 रन से जीत दर्ज की वहीं गांगुली की टीम ने 2002 में 326 रन के पहाड़ जैसे लक्ष्य को लाँघा था।

भारत ने इस मैदान पर एकमात्र टेस्ट मैच 1986 में कपिल की कप्तानी में ही जीता था। इस जीत से भारत ने इंग्लैंड में श्रृंखला भी अपने नाम की थी। इस मैदान पर भारत ने अब तक जो 15 मैच खेले हैं उनमें से उसे एक में जीत और 15 में हार मिली है। हालाँकि वनडे में उसका रिकॉर्ड पॉजिटिव है और उसके नाम छह मैच में चार जीत और दो हार हैं।

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