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महेंद्र सिंह धोनी का क्या कसूर.....

धोनी के समर्थन में एक आवाज़

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-शराफत खान

इन दिनों महेंद्र सिंह धोनी की खुलकर आलोचना हो रही है। इंग्लैंड में पहले टेस्ट सिरीज 0-4 से हारने के बाद अब वनडे सिरीज में भी भारतीय टीम पिछड़ रही है। और इसका जिम्मेदार भारतीय कप्तान धोनी की कप्तानी को माना जा रहा है।

धोनी की कप्तानी में भारत ने पहली बार कोई टेस्ट सिरीज गंवाई है। कमजोर कप्तानी के साथ साथ धोनी अपने खराब फॉर्म के कारण भी पूर्व क्रिकेटरों के निशाने पर हैं। यह सही है कि टीम की सफलता और असफलता के लिए कप्तान को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, लेकिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को इस नाजुक समय में टीम का हौसला बढ़ाना चाहिए।

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धोनी को अपने फॉर्म की तलाश है और उस पर खिलाड़ियों की फिटनेस समस्या से भी वे जूझ रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि फिलहाल टीम के नौ खिलाड़ी टीम से चोट के कारण बाहर हैं। ये नौ खिलाड़ी नियमित तौर पर टीम के अंतिम ग्यारह खिलाड़ियों में शामिल रहे हैं। खिलाड़िंयों की चोट की समस्या कितनी बड़ी है, इसे आप इस तथ्य से समझ सकते हैं कि वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, सचिन तेंडुलकर, युवराज सिंह, रोहित शर्मा, जहीर खान, हरभजन सिंह, ईशांत शर्मा जैसे खिलाड़ी इंग्लैंड दौरा बीच में ही छोड़कर स्वदेश लौट चुके हैं।

ऐसी स्थिति में धोनी करें भी तो क्या करें। उनसे मैदान में गलतियां जरूर हुई हैं और वे इन गलतियों से सीख भी ले रहे हैं। इंग्लैंड में टीम की विफलता से विचलित होकर भारत के पूर्व क्रिकेटर मदनलाल ने धोनी से कप्तानी छोड़ने को कहा है, लेकिन क्या यह सही है कि कभी खुद ही धोनी को कैप्टन कूल कहने वाले पूर्व क्रिकेटर सिर्फ एक ‍दौरे में मिली असफलता के आधार पर धोनी को मूल्यांकन करें।

पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भी धोनी की कप्तानी की आलोचना कर चुके हैं, लेकिन गांगुली ने टीम की समस्या का हल भी बताया है। गांगुली के मुताबिक धोनी को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर खेलना चाहिए और युवा तेज गेंदबाज वरुण आरोन को अंतिम ग्यारह में मौका देना चाहिए।

कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि धोनी का मिडास टच कहीं खो गया है। अब उनमें वो पहले वाली बात नहीं रही, लेकिन सच्चाई तो यह है कि धोनी के ज्यादातर धुरंधर अभी चोटिल हैं और उनके पास वो टीम ही नहीं है, जिससे जीत हासिल की जा सके। यहां दोष धोनी का नहीं बल्कि बीसीसीई का है। टीम का कार्यक्रम इतना व्यस्त है कि खिलाड़ियों आराम नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में इंग्लैंड दौरे के लिए टीम तैयारियां नहीं कर सकी और उसी का परिणाम है कि वहां टीम इंडिया को आशानुरूप परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं।

विश्व कप जीतने का जश्न खिलाड़ी पूरी तरह मना भी नहीं पाए थे कि आईपीएल शुरू हो गया। उसके बाद वेस्टइंडीज दौरा और फिर वहीं से टीम इंग्लैंड के लिए रवाना हो गई। इतने व्यस्त कार्यक्रम में टीम के लिए आराम करने का समय कहां था।

इस समय धोनी की कप्तानी की आलोचना करने के बजाय बोर्ड को अपनी नीतियों पर फिर से सोचना चाहिए, क्योंकि लगातार खेलने से उपयोगिता हास का नियम अपना रंग जरूर दिखाता है।

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