Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

डोकलाम विवाद पर भारत के सामने चीन नरमी क्यों दिखा रहा है?

हमें फॉलो करें डोकलाम विवाद पर भारत के सामने चीन नरमी क्यों दिखा रहा है?
, शनिवार, 29 जुलाई 2017 (11:08 IST)
- सैबल दास गुप्ता (वरिष्ठ पत्रकार, बीजिंग से)
चीन के बीजिंग में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग और अजीत डोभाल के बीच औपचारिक ढांचे के तहत बातचीत हुई है। ब्रिक्स सम्मेलन में ब्राजील, रूस और साउथ अफ्रीका से लोग आए हैं। इन लोगों के साथ एक सिक्योरिटी डायलॉग हुआ, जो कि एक औपचारिक स्ट्रक्चर है।
 
लेकिन डोभाल की मुलाकात शी जिनपिंग और चीनी अफसरों के साथ भी हुई। शुक्रवार को डोभाल ने ऐसी ही तीन 'वन टू वन' मीटिंग्स की। ऐसा लगता है कि इन मुलाकातों से दोनों देश एक-दूसरे की परिस्थिति समझने में कामयाब हुए। ऐसा भी नहीं है कि इससे बॉर्डर का सारा विवाद खत्म हो गया लेकिन हां ये ज़रूर है कि एक-दूसरे को समझने लगे हैं। दोनों देश इस पर सोच रहे हैं कि आगे क्या करना है।
 
डोकलाम के हालात नहीं बदले तो?
बीते छह हफ़्ते में ये पहली बार है कि दोनों देशों के बीच सिक्योरिटी के मुद्दे पर बात हो रही है। दूसरी बात ये है कि चीन ने बार-बार कहा था कि जब तक डोकलाम से भारतीय सैनिक पीछे नहीं हटेंगे, हम किसी भी तरह की बात नहीं करेंगे। इसके बावजूद भी चीनी मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के लोग डोभाल से अलग से मिले और इस मुद्दे पर 'वन टू वन' मीटिंग की और भारत के साथ स्टैंडऑफ़ को लेकर चर्चा हुई। ऐसे में चीन अपने पुराने रवैये से थोड़ा तो नरम हुआ है। चीन ने भी ये संकेत दिए हैं कि वो इस मसले को सुलझाना चाहते हैं लेकिन वो ये भी नहीं चाहते कि ये मुद्दा कल ही सुलझ जाए।
 
एक रात में भारत से दोस्ती क्यों नहीं करेगा चीन?
ऐसा वो इसलिए नहीं चाहते हैं क्योंकि एक अगस्त को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 90 साल पूरे हो रहे हैं। चीन में सेलिब्रेशन का माहौल रहेगा। ऐसी हालत में अचानक से चीन कह दे कि कल तक हम जिसे दुश्मन मानते थे, जो हमारी ज़मीन पर चला आया था उससे हमारी एक रात में दोस्ती हो गई। ये बात चीनी सैनिकों को समझाना कठिन होगा। इसलिए चीन ये चाहता है कि धीरे-धीरे इस मुद्दे को सुलझाया जाए और भारत भी कुछ ऐसा ही चाहता है।
 
सर्दियों के आने से पहले सुलझेगा डोकलाम मुद्दा?
अजित डोभाल में काउंटर टेररिज़्म के मुद्दे पर शुक्रवार को कहा था कि इस मुद्दे पर ब्रिक्स को काफ़ी काम करना है और काफी आगे बढ़ना है। ब्रिक्स में डोभाल और चीनी अधिकारियों से मुलाकातों का सकरात्मक रिजल्ट हो सकता है। अगर दोनों तरफ के लड़ाई की बात करने वाले उग्र लोगों को कुछ हद तक दबाया जा सकता है। क्योंकि ये लोग ऐसा माहौल तैयार कर रहे हैं, जिससे बॉर्डर पर तैनात सिपाही के मानसिक परिस्थिति पर असर हो रहा है।
 
एक बड़े चीनी मिलिट्री एक्सपर्ट ने कहा कि अगर दोनों देश के नेता ये संकेत देते हैं कि ये रिश्ता हमारे लिए महत्वपूर्ण है तो सरहद पर तैनात सिपाही पर काफ़ी असर होगा। धीरे-धीरे इसकी पहल होगी लेकिन अचानक कुछ नहीं मिलेगा। दूसरी बात ये है कि जब ठंड आ जाएगी तो दोनों तरफ के सिपाहियों को हटना होगा क्योंकि वहां बहुत कड़ाके की ठंड पड़ती है। लेकिन इससे पहले भी इस मुद्दे को सुलझाने की बात होगी।
 
(बीबीसी संवाददाता विनीत खरे से बातचीत पर आधारित)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नीतीश कुमार ने कब कब मारी सियासी पलटियां