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धरती लगाएगी एलीयंस को आवाज

हमें फॉलो करें धरती लगाएगी एलीयंस को आवाज
, मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015 (14:19 IST)
कई दशकों से वैज्ञानिक पृथ्वी से बाहर किसी एलीयन के संदेशों को सुनने की तमाम कोशिशें करते आए हैं। अमेरिकी एस्ट्रोफिजिसिस्ट्स का मानना है कि उनसे संपर्क साधने के लिए हमें खुद पृथ्वी से उन्हें शक्तिशाली सिग्नल भेजने चाहिए।

कैलीफोर्निया के सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरिस्ट्रियल इंटेलीजेंस (सेटी) के रिसर्चर जल्द ही 'एक्टिव सेटी' नामका प्रोजेक्ट शुरु करने वाले हैं। ब्रिटिश एस्ट्रोफिजिसिस्ट स्टीफन हॉकिंग जैसे कई बड़े वैज्ञानिक इस बात का डर जता रहे हैं कि ऐसा करने से शायद दूसरे ग्रहों के वासी धरती पर हमला कर दें। हॉकिंग ने कहा है कि सभ्यताओं के बीच हुए ऐसे कई टकरावों का दुखद इतिहास रहा है जिसमें कम विकसित सभ्यताएं कुचली गई हैं।

सेटी रिसर्चरों ने ऐसी आशंकाओं से इंकार किया है। सेटी इंस्टीट्यूट में इंटरस्टेलर मेसेज कॉम्पोजिशन के निदेशक डगलस वाकोख बताते हैं, 'करीब पचास सालों से अंतरिक्षविज्ञानी तारों की ओर अपने रेडियो टेलिस्कोप साधे हुए दूसरी सभ्यताओं से आने वाले सिग्नलों की राह देख रहे हैं। एक्टिव सेटी प्रोजेक्ट में हम उस प्रक्रिया के उलट, खुद सक्रिय भूमिका निभाते हुए सोचे समझे, शक्तिशाली और सूचनाप्रद संदेश दूसरी सभ्यताओं को भेजेंगे, शायद जवाब आ जाए।'

ये सिग्नल उस तारा समूहों तक भेजे जाएंगे जो धरती के सबसे आस पास हैं और ऐसे ग्रहों से बने हैं जहां जीवन की संभावना हो सकती है। रिसर्चरों का मानना है कि एलीयनों से संपर्क साधने के ये प्रयास पहले की सभी कोशिशों से बेहतर साबित हो सकते हैं। 1977 में दो वोयाजर स्पेसक्राफ्ट पर फोनोग्राफ रिकॉर्ड रख कर भेजे गए थे। इन रिकॉर्ड्स में धरती पर जीवन को दर्शाने वाले कुछ चुनिंदा दृश्य और आवाजें थीं। पहले भी अंतरिक्ष में रेडियो सिग्नल भेजे जा चुके हैं। साल 1999 में रूसी वैज्ञानिकों ने क्रीमिया स्थित एक टेलिस्कोप से अंतरिक्ष में संदेश भेजे थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2008 में बीटल्स के मशहूर गाने 'एक्रास दि यूनिवर्स' को धरती से 430 प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारे नॉर्थ स्टार तक भेजा था।

सेटी रिसर्चर सेथ शोस्ताक का मानना है कि आजकल के शक्तिशाली रेडियो टेलिस्कोप और पूरे इंटरनेट पर मौजूद सामग्री का इस्तेमाल कर तारों को संदेश भेजना चाहिए। इससे जिसे संदेश मिलता है वह इंसानी सभ्यता और इतिहास को जान पाएगा। प्रोजेक्ट काफी विवादास्पद है और कई वैज्ञानिक ऐसे कोई भी संदेश भेजने से पहले सर्वसम्मति बनाने पर जोर दे रहे हैं।

आरआर/एसएफ (एएफपी,एपी)

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