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कितना सख्त होना चाहिए आपका बिस्तर

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, शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014 (11:45 IST)
रात को आपको कैसी नींद आती है यह बहुत हद तक आपका गद्दा तय करता है। गद्दा खरीदते समय यह जानना बहुत जरूरी है कि आपकी पीठ और बाकी शरीर के लिए किस तरह का मैट्रेस सही है।

क्या आप जानते हैं कि हम अपने जीवन का करीब एक तिहाई हिस्सा सो कर गुजारते हैं। इसीलिए बहुत जरूरी है कि अपने बिस्तर को उतनी ही अहमियत दी जाए जितनी खानपान और पहनावे को दी जाती है। लेकिन सही गद्दे की पहचान सिर्फ उसपर उछलकर नहीं होती। इसके लिए आपको तकनीकी मदद की जरूरत है।

जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी में गद्दों पर शोध होता है। लगभग हर हफ्ते यहां नए गद्दों से लदा ट्रक आता है जो दुनिया भर की फैक्ट्रियों में तैयार किए गए हैं। यहां के एक रिसर्चर नोर्बर्ट फोग्ट बताते हैं, 'हम यहां इनका तुलनात्मक परीक्षण करते हैं।'

दबाव का असर : प्रयोगशाला में लगी मशीन इन गद्दों की टेस्टिंग करती है। मशीन में एक बड़ा सा लकड़ी का लट्ठा लगा है जो स्प्रिंग वाली मैट्रेस पर दाहिने बाएं फेरा जाता है। यह ऊपर उठाया जाता है और फिर गद्दे पर रखा जाता है। गद्दे की सतह पर इसके निशान पड़ते हैं। ठीक वहीं जहां किसी इंसान के सोने पर उसका भार पड़ेगा।

रिसर्चर देखते हैं कि भार पड़ने पर मैट्रेस अपना आकार किस हद तक बदलता है। रिसर्चर एफ्राइम ग्रोस के मुताबिक, 'रोलर एक तरफ से दूसरी तरफ 30 हजार बार जाता है जिसके दौरान वह गद्दे को 1400 न्यूटन मीटर के वजन से दबाता है।' जर्मनी में गद्दे के मानकों पर खरा उतरने के लिए इस टेस्ट को अंजाम दिया जाता है। इस टेस्ट से देखा जाता है कि वजन पड़ने से गद्दे की ऊंचाई पर कितना असर पड़ता है।

लेकिन एक अच्छे गद्दे में क्या खूबियां होनी चाहिए? इसके लिए वैज्ञानिक इंसान की रीढ़ की हड्डी के आकार को समझते हैं। ग्रोस ने बताया, 'हम पूरी रीढ़ की हड्डी की लंबाई नापते हैं' गर्दन के थोड़ा ऊपर के हिस्से से लेकर सबसे नीचे पुंछ तक। यह उपकरण थोड़ा डरावना लगता है। एक लंबे से दंड पर उभरी हुई कांटेनुमा आकृतियां होती हैं। रिसर्चर इसे रीढ़ की हड्डी से सटाकर उसी के आकार से मैच करते हुए लगा देते हैं। फोग्ट ने बताया, 'इसके बाद हम हड्डी की वक्रता को मापते हैं।' और फिर रिसर्चर इसकी तुलना सीधे खड़े होने की अवस्था में रीढ़ की हड्डी से करते हैं।

सेंसर की मदद : इस टेस्ट के लिए गद्दे को एक धातु के सांचे पर रखा जाता है। नीचे से कई सेंसर गद्दे के आकार को नापते हैं। ये सभी सेंसर कंप्यूटर से जुड़े होते हैं। फोग्ट ने बताया, 'हम सेंसर को गद्दे की निचली सतह की तरफ ढकेलते हैं। जब कोई इस पर लेटता है और ऊपर से दबाव लगता है तो सतह का आकार बदलता है। और यह कितना दबता है, यही हम नापते हैं।'

अब स्क्रीन पर दो वक्र रेखाएं दिखाई देती हैं। लाल रेखा यानि खड़े होने की हालत में रीढ़ की हड्डी और नीली रेखा यानि लेटे हुए रीढ़ की हड्डी की हालत। रिसर्चर दोनों का तुलनात्मक अध्ययन कर तय करते हैं कि गद्दा कहां पर सख्त और कहां पर नर्म होना चाहिए।

रिपोर्ट फ्रांक हयास्ख/एसएफ

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