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मेरा नाम, मां के नाम

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, मंगलवार, 12 अगस्त 2014 (20:39 IST)
चीन में बच्चे का नाम, बच्चे की मां के नाम पर रखने वालों को नकद इनाम दिया जा रहा है। इस कोशिश के जरिए प्रशासन पुत्र मोह में डूबे चीनी समाज को नया रास्ता दिखाना चाहता है। भारत की तरह चीन में भी बेटों को तरजीह दी जाती है।
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चीन में शादी के बाद महिलाएं अपना आखिरी नाम बरकरार रखती हैं, लेकिन भारत की तरह बच्चे को पिता का पारिवारिक नाम दिया जाता है। पितृसत्तात्मक समाज होने की वजह से बाप का पारिवारिक नाम ही आगे बढ़ता रहता है। बेटी के बजाए बेटे को तरजीह देने का यह भी एक कारण है।

पूर्वी चीन के आनहुई प्रांत में सरकार समाज में व्याप्त पुत्र मोह को तोड़ने के लिए एक अभियान चला रही है। चांगफेंग मंडल में बच्चे को मां का आखिरी नाम देने वाले माता पिता को 1,000 युआन का इनाम दिया जाता है। इसे 'सरनेम रिफॉर्म' प्लान कहा जा रहा है। 30 दंपत्ति इसमें शामिल हो चुके हैं।

चीन में लिंगानुपात बुरी तरह गड़बड़ा गया है। परिवार नियोजन की कड़े नियमों की वजह से वहां बेटियों की कमी हो गई है। इन नियमों को आम बोलचाल में एक बच्चा पॉलिसी भी कहा जाता है। बीते दशकों में एक बच्चा पॉलिसी के चलते चीन में बेटी होने पर गर्भपात कराने या फिर बेटी को लावारिश छोड़ने के कई मामले सामने आ चुके हैं।

ज्यादातर देशों में लिंगानुपात के मुताबिक 103 से 107 पुरुषों पर 100 महिलाएं होती हैं। लेकिन चीन में 118 पुरुषों पर 100 महिलाएं हैं। चांगफेंग मंडल में तो 100 महिलाओं की तुलना में 130 पुरुष हैं। जनसंख्या और परिवार नियोजन समिति के स्थानीय उपनिदेशक गोंग कुनबिंग कहते हैं, 'हमारा लक्ष्य इस सोच को फैलाने का है कि परिवार नवजात को अपनी पंसद के मुताबिक पारिवारिक नाम दे सकें।'

चीन में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या 10 लाख ज्यादा है। इसके चलते कई युवाओं को शादी के लिए लड़की नहीं मिल रही। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक लिंगानुपात गड़बड़ाने से दक्षिण पूर्व एशिया से महिलाओं की तस्करी की जा रही है।

कई मायनों में भारतीय और चीनी समाज एक-सा है। दोनों ही देशों में बड़ा तबका बेटियों को बोझ समझता है। शादी के वक्त लड़की के माता पिता को दहेज भी देना पड़ता है। शादी के बाद वो लड़के के परिवार के साथ रहती है। इसी वजह से लोगों को लगता है कि बेटा होगा तो बुढ़ापे में उनकी देखभाल के लिए बहू भी होगी। चीन के दूर दराज के इलाकों में पुरुषों की आय भी महिलाओं से ज्यादा है।

- ओएसजे/एमजे (एएफपी)

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