Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मृत्युतुल्य कष्ट देता है विष-योग, सही समय पर करें उसका निवारण...

हमें फॉलो करें मृत्युतुल्य कष्ट देता है विष-योग, सही समय पर करें उसका निवारण...

श्री रामानुज

* कुंडली में विष-योग होता है अति अनिष्टकारी, जानें कारण व निवारण...
* कुंडली में आने वाले योग-संयोगों से जीवन में आती हैं परेशानियां... 
 
प्रत्येक जातक की कुंडली में आने वाले योग-संयोगों से उसके जीवन में आने वाले कार्यों, सफलताओं और कष्टों का निर्माण और निवारण होता है। यदि उचित समय पर कुंडली के अशुभ योगों को पहचानकर सही उपाय किया जाए तो इन दोषों से होने वाली पीड़ा को कुछ कम भी किया जा सकता है। ऐसे ही अनिष्टकारी योगों में से एक है विष-योग। 
 
किसी भी जातक की कुंडली में विष-योग का निर्माण शनि और चन्द्रमा के कारण बनता है। शनि और चन्द्र की जब युति (दो कारकों का जुड़ा होना) होती है तब विष-योग का निर्माण होता है। कुंडली में विष-योग उत्पन्न होने के कारण लग्न में अगर चन्द्रमा है और चन्द्रमा पर शनि की 3, 7 अथवा 10वें घर से दृष्टि होने पर भी इस योग का निर्माण होता है।
 
कर्क राशि में शनि पुष्य नक्षत्र में हो और चन्द्रमा मकर राशि में श्रवण नक्षत्र का रहे अथवा चन्द्र और शनि विपरीत स्थिति में हों और दोनों अपने-अपने स्थान से एक-दूसरे को देख रहे हो तो तब भी विष-योग की स्थिति बन जाती है। यदि कुंडली में 8वें स्थान पर राहु मौजूद हो और शनि (मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक) लग्न में हो तब भी विष-योग की स्थिति बन जाती है।
 
अगले पृष्ठ पर पढ़ें विष-योग के लक्षण और निवारण... 
 
 
webdunia

 

मृत्युतुल्य कष्ट देता है विष-योग -
 
यह योग मृत्यु, भय, दुख, अपमान, रोग, दरिद्रता, दासता, बदनामी, विपत्ति, आलस और कर्ज जैसे अशुभ योग उत्पन्न करता है तथा इस योग से जातक (व्यक्ति) नकारात्मक सोच से घिरने लगता है और उसके बने बनाए कार्य भी काम बिगड़ने लगते हैं।
 
कैसे होता है विष-योग का निवारण?-  

शनि और चन्द्रमा होने से इस योग से ग्रसित जातक को शिवजी और हनुमानजी की पूजा से विशेष लाभ मिलता है। विष-योग की पीड़ा को कम करने के 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का नित्य रोज (सुबह-शाम) कम से कम 108 बार करना चाहिए।
 
शिव भगवान के महामृत्युंजय मंत्र का जाप, प्रतिदिन (5 माला जाप) करने से भी पीड़ा कम हो जाती है।

हनुमानजी की पूजा करने, हनुमान चालीसा और संकटमोचन हनुमान की आराधना से भी इस योग से होने वाली पीड़ा शांत होती है। इसी प्रकार शनिवार को शनिदेव का संध्या समय तेलाभिषेक करने से भी पीड़ा कम हो जाती है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

महानवमी विशेष : आज दुर्गाजी को लगाएं ये भोग, होंगी मनोकामना पूर्ण