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कथा लक्ष्मी वाहन की

हमें फॉलो करें कथा लक्ष्मी वाहन की
- यशवंत कोठारी
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हे भक्तो !

जो लोग लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करना चाहते हैं और लक्ष्मी को प्रसन्न रखकर अपने धन की वृद्धि करना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि वे लक्ष्मी वाहन उलूक की अभ्यर्थना करें, सेवा-पूजा करें क्योंकि यदि वाहन खुश है तो सवारी करने वाली अपने आप प्रसन्न होगी।

जो व्यक्ति इस उलूक अध्याय को पढ़ेगा, वह स्वयं उलूकवत् हो जाएगा और उसके पास धन, सुख, आठों सिद्धियाँ तथा नवों विधियाँ हमेशा रहेंगी। देवताओं ने मृत्युलोक में इस पक्षी को यह वरदान दिया है कि वह लक्ष्मी को अपने कंधों पर सवार कर पूरे विश्व में भ्रमण कराए और चूँकि लक्ष्मी विष्णु की पत्नी है अत: चंचला है और चंचला के चोंचले सहना उल्लू के ही बस की बात है।

  जो लोग लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करना चाहते हैं और लक्ष्मी को प्रसन्न रखकर अपने धन की वृद्धि करना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि वे लक्ष्मी वाहन उलूक की अभ्यर्थना करें, सेवा-पूजा करें क्योंकि यदि वाहन खुश है तो सवारी करने वाली अपने आप प्रसन्न होगी।      
मैं उलूक महाराज को बार-बार प्रणाम करता हूँ कि वे प्रसन्न हों और लक्ष्मी को कुछ समय के लिए ही सही मेरे घर पर रोक दें और कुछ नहीं हो तो उनके दर्शन ही करने दें।

भक्तो! अब मैं इस पक्षी के बारे में आपको विस्तार से बताता हूँ। उलूक महाराज का सिर पृथ्वी की तरह गोल है। अन्य पक्षियों की तरह नहीं, इनकी आँखें मनुष्‍य की तरह हैं। जब उड़ते हैं तो बिल्कुल आवाज नहीं करते ऐसे सरक जाते हैं जैसे आतिशबाजी में रॉकेट, जो आवाज बाद में आती है वो हवा की होती है, इनकी नहीं। ये महाराज जिस वृक्ष पर बैठते हैं, वहाँ नियमित रूप से उदासी दिखाई देती है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे कोई विद्वान देश की स्थिति पर चिंतन कर रहा हो।

  उलूकों के इस मौसम में मुझे एक और वस्तु की याद बड़ी तेजी से आ रही है और वो है सुरसा... सुरसा का सीधा संपर्क महँगाई से और महँगाई का लक्ष्मी से, इस त्रिकोणात्मक समीकरण को समझना आसान नहीं है ...      
कई बार मैंने उलूकों को चुपचाप घंटों बैठे देखा है। ऐसा लगता है जैसे राजा के गलियारे में अजनबी घूम रहे हैं।

लक्ष्मी वाहन शिकार का शौकीन होता है और इसका वार दरिद्रों पर ज्यादा होता है। शिकार को दबोचते ही लक्ष्मी वाहन उसका सेवन कर जाते हैं। उलूक को पाला नहीं जा सकता। ये बात अलग है कि इनके पालने में लक्ष्मीपति भी समर्थ नहीं हो पाए।

उलूक महाराज की आवाज को सुन-सुनकर बड़े-बड़े लोगों के होश फाख्ता हो जाते हैं लेकिन तांत्रिक लोग उलूक की पूजा दिवाली की रात को करके कई शक्तियों की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

आपकी जानकारी हेतु बता दूँ कि हमारे देश में किसी घर पर उलूक बैठा होना या रात्रि को बोलना अशुभ है, लेकिन ऐसी बात नहीं है यूनानी लोग उल्लू को सरस्वती मानते हैं। यानी हमारे यहाँ जो महत्व मोर का है वही यूनान में उल्लू का है और वैसे भी लक्ष्मी और सरस्वती बहनें हैं और वीणा पुत्रों को लक्ष्मी कभी नहीं मिली।

अफ्रीका वाले उल्लू का टोने, तंत्र-मंत्र आदि कार्यों में प्रयोग करते हैं। किसी अफ्रीकी के घर पर यदि उल्लू आ जाए तो उसके पंख नोंच डाले जाते हैं ताकि उल्लू को भेजने वाले का नाश हो। सफेद उलूक बहुत कम मिलेगा, लेकिन यह प्रेतात्मा का रूप माना जाता है।

उलूक की कहानी यहीं खत्म नहीं होती है। मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि उल्लू से आप डरें नहीं। यदि आप चाहते हैं कि लक्ष्मी आए तो उलूक की भी वंदना करिए।

अपने घर आँगन को लीप-पोतकर माँडने बनाइए। लक्ष्मी तथा लक्ष्मी वाहन का इंतजार करें। यदि आप ॐ नमो उलूकाय मंत्र का जाप करेंगे तो उलूक आप पर अवश्य कृपा करेंगे। ऐसा मेरा विश्वास है। अत: आप कृपा कर इस मंत्र की माला जपें।

उलूकों के इस मौसम में मुझे एक और वस्तु की याद बड़ी तेजी से आ रही है और वो है सुरसा... सुरसा का सीधा संपर्क महँगाई से और महँगाई का लक्ष्मी से, इस त्रिकोणात्मक समीकरण को समझना आसान नहीं है क्योंकि -
एक ही उल्लू काफी है,
बरबादें गुलिस्ताँ करने को।
हर शाख पे उल्लू बैठा है,
अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा।

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