असरकारी है नमस्कार का अर्घ्य
प्रेमचंद द्वितीय
सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए जल का अर्घ्य दिया जाता है। इसी तरह सत्ताधारियों को, मठाधीशों को, आला अफसरों को, बाहुबलियों को, धनपतियों को, रसूखदारों को, सरमायेदारों को, लंबरदारों को और छोटे-मोटे नेता को सुबह-शाम नमस्कार का अर्घ्य देकर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।नमस्कार के चमत्कार से बिरला ही इंकार कर सकता है इस कलयुग में। नमस्कार की महत्ता का पता तो पिछले कुछ वर्षों से चला, जब एक साथ करोड़ों हाथों ने सूर्य को नमस्कार किया। इस सरकारी सूर्य नमस्कार से सूर्य को नमस्कार की अहमियत का पता चला हो या न चला हो, लेकिन इस नमस्कार से चमत्कार का जो प्रादुर्भाव हुआ, इसका गहरा असर आम दैनंदिनी जिंदगी में जरूर हुआ। चमत्कार को नमस्कार कहें या नमस्कार को चमत्कार कहें, दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। आखिर कहाँ-कहाँ हम नमस्कार नहीं कर रहे हैं। जैसे ही स्कूल में पन्द्रह मिनट का सूर्य नमस्कार हुआ, माटसाब ने 'पढ़ाई' को नमस्कार कर स्कूल में ताला डाल दिया। जैसे ही 'बॉस' ने ऑफिस से घर की ओर रुखसत की, बाबुओं ने दूसरे दिन की सुबह तक के लिए कार्यालय को नमस्कार कर लिया।नमस्कार के चमत्कार से देवता-दैत्य, मानव-दानव, ऋषि-मुनि, नेता-अभिनेता, राक्षस-चारण सबके सब दीवाने हैं। उन्हें बस नमस्कार का अर्घ्य दे दो, वे अपनी सियत से स्वतः मदद के लिए तैयार हो जाएँगे। सच मानिए, रामचरित मानस जैसे महान ग्रंथ की सफलता के पीछे तुलसीदास की 'खल' वंदना भी है। यदि वे 'खलों' की वंदना न करते तो उनका जमा-जमाया खेल, खल बिगाड़ देते।
'खलों' को नमस्कार का तड़का नहीं लगे तो वे अच्छे-अच्छों के 'खले' भी उठा देते हैं। नमस्कार में बहुत ताकत है, खली से भी ज्यादा। अदब, मुस्कराहट से की गई नमस्कार बिगड़े काम बना देती है। इसके उल्टे शैक्षणिक संस्थाओं में ' सीनियर' को 'विश' न करो तो रैगिंग का 'विष' घुल जाता है। 'बाहुबली' , 'नौसीखिए' , 'छुटभय्ये' को बस नमस्कार का टॉनिक भर मिल जाए। वह इसी नमस्ते की नींव पर सांसद, मंत्री और विधायकी का सपना सँजोने लगता है।
नमस्कार में चमत्कार के गुण तो हैं ही, नमस्कार 'टेंशन' भी देता है। किसी अजनबी को नमस्ते भर कर लो। आप तो हाथ जोड़कर चल दिए, लेकिन सामने वाला इस टेंशन में रातभर नहीं सो पाएगा कि आखिर यह नमस्ते करने वाला कौन था! किसी काम को बनाने के लिए "नमस्कार" नमामि रामबाण होता है। किसी से छुटकारा पाने के लिए भी 'नमस्कार' कर उससे रुखसत की जा सकती है।
नमस्कार में राजनीति, समाजनीति और अर्थनीति भी होती है। फ्लॉप व्यवसायी को अपने कारोबार से नमस्कार करना पड़ता है, तो कई मर्तबा 'नेता' को राजनीति से भी 'नमस्कार' करना पड़ता है। इसी कारण 'नमस्कार से चमत्कार' और 'चमत्कार को नमस्कार' के लिए नमस्कार का 'अर्घ्य' इक्कीस दिन तक लगातार देकर देखिए जिंदगी नमस्कार से चमत्कारमय हो जाएगी। नमो नारायण!