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आपके हसीन (शाह) रुख पर...

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- बिस्मिल्लाह
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मुझे तो लगता है ये 'सास-बहू मार्का सीरियल वालों' की चाल है, क्योंकि आईपीएल से खतरा और किसे है। और देखिए, उनकी चाल चल भी गई कि शाहरुख और प्रीति जिंटा को बाँधकर रख दिया गया है। देखा है आपने इस दिन मुंबई में... और कोलकाता में। कैसे हाथ-पैर बाँधे हुए कुर्सी पर बैठे थे शाहरुख... कि जैसे किसी उधमी बच्चे को डपटकर बैठा दिया गया हो। कल्पना करिए... कि उस समय शाहरुख पर क्या गुजर रही होगी। टीम का पटिया उलाल हो रहा था... और शाहरुख पनियल आँखों से बस देख ही रहे थे टुकुर-टुकुर!

मुंबई के मैच में तो समझ ही नहीं आया कि शाहरुख को उधम करने से रोका गया है। तब तो यही लग रहा था कि शाहरुख की टीम का मुकाबला मुंबई से है। पीठ भी अपनी पेट भी। किसका हौसला बढ़ाएँ! अपनी टीम के लिए अगर नाचें-कूदें तो अभी सारे ठाकरे इकट्ठे होकर आमची-मुंबई करने लगें।
  कैसे हाथ-पैर बाँधे हुए कुर्सी पर बैठे थे शाहरुख... कि जैसे किसी उधमी बच्चे को डपटकर बैठा दिया गया हो। कल्पना करिए... कि उस समय शाहरुख पर क्या गुजर रही होगी। टीम का पटिया उलाल हो रहा था... और शाहरुख पनियल आँखों से बस देख ही रहे थे टुकुर-टुकुर!      


वह तो गनीमत है कि बाकी शहरों को ठाकरेजी ने छूट दे रखी है, वरना मुंबई टीम का विरोध करने वालों को तो ये देश-निकाला भी करवा दें। वैसे समझदारी तो यही रहती कि शाहरुख उस दिन स्टेडियम में ही नहीं आते! फिर तो आप यह भी कहने लगेंगे कि शाहरुख को आईपीएल की टीम ही नहीं खरीदना थी...। आखिर क्या- क्या न करे शाहरुख... जबकि अमिताभ हर काम करने को तैयार रहते हैं!

लेकिन जब कोलकाता में भी शाहरुख को मुँह बाँधे देखा, समझ में आ गया था कि इतनी गंभीर ए‍‍‍िक्टंग इस बंदे ने आज तक फिल्मों में भी नहीं की है, यहाँ कैसे कर रहा है। जरूर कुछ जला जीरा दाल में। अब बात सामने आ गई है कि शाहरुख सहित सभी पर रोक लगा दी गई है कि अपनी सीट छोड़कर कहीं नहीं जाना! ये कोई शूटिंग तो है नहीं कि कहीं भी दौड़े चले गए। इस आदेश में 'शाहरुख सहित सभी पर...' गलत है। क्योंकि सभी तो बेचारे हिलडुल ही नहीं पाते हैं तो खिलाड़ियों की हौसला-अफजाई क्या खाक करेंगे।

सीरियल वालों ने तो मन की कर ली... लेकिन हाथी अगर खाना छोड़ दे तो सारी चीटियों के पेट तो भर नहीं जाएँगे। शाहरुख-प्रीति एंड कंपनी की वजह से भले ही सिनेमाप्रेमी जनता आईपीएल से अलग हो जाए, लेकिन जो क्रिकेटप्रेमी, यानी शाहरुख जैसे नहीं, हैं वे तो खेल देखेंगे ही।

बल्कि हो सकता है अब खालिस क्रिकेट वाले ही मैच देखें कि शाहरुख-प्रीति के चक्कर में क्रिकेट भी ठीक से नहीं दिखाया जा रहा था। अब सही में क्रिकेट नजर आएगा। टीम हारने के बाद लटका हुआ मुँह दिखाने के लिए तो शाहरुख इतनी जहमत उठाएँगे नहीं... कि स्टेडियम में पूरे वक्त बैठे रहें।

यह आईपीएल के ललित मोदी की चाल भी हो सकती है, क्योंकि उनकी राजस्थानी टीम तभी जीत सकती है, जबकि शाहरुख चुपचाप बैठे रहें। दो मैच में चुप बैठे और दोनों हार गए। ऐसे में मुझे लगता है कि शाहरुख को अपनी टीम की तरफ से मैदान में उतरना चाहिए...। कह सकते हैं उन्हें खेलना कहाँ आता है... तो जवाब है राहुल द्रविड़ को तो आता है। सिवाय लजवाने के क्या किया राहुल ने। उम्मीद करें अगले मैच में ऐसा ही होगा... इससे एक खिलाड़ी का पेमेंट भी बचाया जा सकेगा।

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