Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

वॉट एन आईडिया भेनजी!

व्यंग्य

हमें फॉलो करें वॉट एन आईडिया भेनजी!
मृदुल कश्य
ND
राज्य में बच्चा-बच्चा कहता है कि सच में भेन जी का कोई जवाब नहीं है। वहाँ चाकू भी वही हैं,फल भी वही हैं। समस्या भी वही हैं,हल भी वही हैं। आज भी वही हैं,कल भी वही हैं।

ऐसे ही राजभवन की एक उबाऊ-सी सुबह। विदाउट एक्साइटमेंट! रात भर विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों, समस्याधारकों से त्रस्त,थकी भेन जी जब सुबह अलसाई-सी उठीं तो प्रातः स्मरणीया को देख एक भावुक दरबारी बोल पड़ा,'क्या बात है मैम?आज आप फ्रेश नहीं लग रही हैं? क्या मेकअप मंत्री तड़ी मार गया?'

मैम ने उसे ऐसे घूरा जैसे तुअर दाल किराने की दुकान पर थैला लिए आम आदमी को घूरती है। फिर बोली,'मैं फेशियल के बाद ही बाहर निकली हूँ,अंडरस्टैंड! यह बात और है कि मैं आज बहुत चिंतित हूँ।'

बात निकलती है तब दूर तलक चली जाती है। न जाने कहाँ से कोई खोजी पत्रकार यह खबर ले उड़ा कि मैडम चिंतित है। ये तीन शब्द राज्य की जनता पर वज्र जैसे गिरे। देखते ही देखते ब्रेकिंग न्यूज आने लगी। सांध्यकालीन अखबारों ने पहले से तय हेडलाइन आनन-फानन में बदल डाली। लोगों के थोबड़े घुटनों तक लटक गए। सारे राज्य में शोक गले-गले के लेवल तक पहुँच गया। मातहत शर्मिंदा थे,उनके होते मैडम चिंतित हैं!लानत है उन पर,ऐसे जीवन पर। मातहत बेचारे कर भी क्या सकते थे? सो उन्होंने पूरे राज्य में शोक घोषित कर दिया। झंडे आधे झुका दिए गए। खुशी के समारोह स्थगित कर दिए गए। देखते ही देखते पूरे राज्य में चिंता की सुनामी आ गई। जनमानस में एक-दूसरे से बढ़-चढ़कर चिंता करने की होड़ मच गई।

चिंता सागर में आकंठ डूबे समूचे राज्य की अवस्था से जाने क्यों दुखी एक दरबारी ने डरते-डरते धृष्टता करी-'हे महादेवी!यदि आप पुलिस के डंडों से न पिटवाने का आश्वासन दें तो मैं राज्य के कल्याण हेतु कुछ पूछना चाहता हूँ।' दरबारी ने प्रश्न चूँकि सार्वजनिक स्थल पर किया,इसलिए महादेवी ने मुस्करा कर हामी भर दी। दरबारी बोला,'हे कल्याणी। यह समूचा राज्य आपकी चिंता से ग्रस्त हुआ जा रहा है। पर आपको कौन-सी चिंता खाए जा रही है,यह हम सब सुनने की इच्छा रखते हैं।'

भेनजी ने समीप खड़े एक विश्वस्त से पूछा, 'यह कहीं असंतुष्ट तो नहीं? कहीं विपक्षी...?'

नहीं देवी,विश्वस्त ने आदर से कहा,'विपक्ष नाम की प्रजाति का तो पुलिस ने डंडे मार-मारकर समूल नाश कर डाला है। असंतुष्टों के भी पुरानी पिटाई के कारण उठे गूमड़े ठीक नहीं हुए,वे क्या खाकर कुछ करेंगे? यह तो आपका भक्त है। इसे भी अन्य लोगों के साथ-साथ आपकी चिंता खाए जा रही है।'

webdunia
Kaptan
ND
यह वचन सुनकर भेनजी आश्वस्त हुईं। अपने प्रति लोगों का अगाध प्रेम देखकर वे द्रवित हो गई। वे भरे गले से बोली, 'आप लोगों के इसी प्रेम के कारण मुझे चिंता के ज्वार-भाटे आते रहते हैं। मैं इसी चिंता में रहती हूँ कि मेरा खजाना भरा पड़ा है और मेरी जनता के घर खाली हैं। मैं मेरी जनता के बीच आठों पहर रहना चाहती हूँ। एक पल को भी दूर नहीं रहना चाहती पर आप लोगों ने मुझे यह गद्दी दी है,मैं इसे भी नहीं त्याग सकती। मैं करूँ तो क्या करूँ?' कहते हुए वे सुन्न हो गईं।

'हे विरोधी संहारणी!आप तो जानती ही हैं कि आप ही आदि हैं,आप ही अंत हैं। आप ही प्रश्न हैं,आप ही उत्तर हैं। आप ही चिंता हैं,आप ही समाधान हैं। अब आप ही बतलाएँ कि हम सेवकों के लिए क्या आदेश है।'

'भक्त!तुमने सभी के कल्याण हेतु उत्तम बात पूछी है। इन दोनों समस्याओं का एक ही समाधान है कि हमारे खजाने से हर गली,मोहल्ले,चौराहे पर हमारी मूर्तियाँ स्थापित कर दी जाएँ जिससे मैं जनता के बीच रह सकूँ। हमारी जनता भी हमें पास पाकर खुश हो जाएगी। इससे खजाने का स्तर भी कम हो जाएगा और वह आम जनता के समकक्ष पहुँच जाएगा।'

अरे वाह!इतनी गंभीर समस्या का इतना सरल समाधान सुनकर सब खुशी से झूम उठे और समवेत स्वरों में कहने लगे, 'वाह! वॉट एन आईडिया भेनजी...।'

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi