कला, संस्कृति व नाटक के क्षेत्र में फेरी लगाने वालों की क्या कमी। एक ढूँढो हजार मिलते हैं। असफल नाटककार, सफल व्यंग्यकार बनने के लिए सेठजी के फेरे लगाता है। संस्कृति के रक्षक चंदे के भक्षण हेतु फेरी लगाने के लिए कहाँ-कहाँ नहीं जाते। युवा लोग युवतियों के पीछे और गर्लफ्रेंड के पीछे फेरी लगाते हैं। हर चौराहे पर टाई, बेल्ट, चश्मा व मोबाइल लेकर खड़े युवा, उत्साही कहीं भी फेरी लगाने को आतुर हैं। बस एक मौका चाहिए।
कुल मिलाकर हम सब फेरी वाले हैं। रद्दी वाले, झाडू वाले, पानी पूरी वाले की तरह, बस लक्ष्य अलग हैं। सिद्धांत वही है- फेरी लगाओ कुछ न कुछ पाओगे। बैंकों में लोन के लिए फेरी लगाती रहती है पब्लिक। शेयर बाजार में डिविडेंड के लिए फेरी लगाते हैं। बच्चे स्कूलों की फेरी लगाते हैं। बच्चे ट्यूटर के फेरे लगाते हैं।
एमपी मंत्री बनने के लिए फेरी लगाते हैं। काबीना मंत्री मुख्यंमत्री बनने के लिए देश की राजधानी की फेरी लगाता है। हम सब फेरी वाले हैं, बस तरीका अलग है। अपराधी जेल के फेरे लगाता है। पुलिस अपराधी के फेरे लगाता है, जनता नेता की फेरी लगाती है।
पति पत्नी की फेरी लगाता है। प्रेमी प्रेमिका की फेरी लगाता है। सफलता के लिए सबकुछ जायज है। लगाओ फेरी लगाओ कहीं न कहीं तो पहुँच ही जाओगे। पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगा रही है, चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। और सौरमंडल ब्रह्मांड की फेरी लगा रहा है। हम सब फेरी वाले जो हैं।
फेरी लगाने का इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र विचित्र नहीं है। जाना-पहचाना है, मोहल्ले, शहर-प्रदेश और राष्ट्र में सब मिलकर फेरी लगाते हैं। दुनिया अमेरिका के फेरे लगा रही है। इराक ने नहीं लगाई तो नतीजा भुगता। आतंकवादी अपने आकाओं के फेरे लगाते हैं। माफिया, डॉन, डाकू, चोर-उचक्के, बदमाश, चेन खींचने वाले सबके सब फेरी लगा रहे हैं। मौका देखा और माल उड़ाने को आतुर।
फेरीवालों में मुझे अखबार का हॉकर बहुत पसंद है, क्योंकि वो मुझे अखबार समय पर देता है और अखबार में मेरी रचना होती है। वो मेरा पहला समीक्षक होता है।
कभी-कभी मैं अखबार के हॉकर से ऐसी खबरें सुनता हूँ जो छपनीय नहीं होतीं, ऐसे समाचारों में बड़ा आनंद आता है। बतरस का मजा तो फेरी वालों के साथ ही आता है। बाहर फेरी वाला आवाज लगा रहा है, चलता हूँ।