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हैप्पी डू नथिंग डे

कुछ भी नहीं करने का 'दिवस'

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इन दिनों हर रोज कोई खास दिवस होना आम हो गया है। कुछ दिनों पहले एक दिन विश्व 'उच्च रक्त दाब दिवस', एक 'बिना तंबाकू दिवस' हुए फिर विश्व पर्यावरण दिवस आया और कई ऐसे दिवस कतार में खड़े हैं।

हर दिन का लगभग एक ही तरह का खाका होता है। सुबह अखबार वाले आपको मुख्य पृष्ठ पर खबर छाप कर बताएँगे कि आज फलाना दिवस है। एफएम रेडियो चैनल वाले आपको फिर उस दिन के बारे में बता कर फोन करने को कहेंगे। तुरंत ही मोबाइल पर एसएमएस आना चालू हो जाएँगे। सभी संदेश एक से ही रहते हैं, जैसे स्टॉक से उठाए गए हों।

उस खास दिवस के उपलक्ष्य में किसी न किसी जगह कोई न कोई संगोष्ठी आयोजित की जाएगी। हमारे यहाँ ऐसी संस्थाओं की कमी नहीं है जो कुछ मनाने का मौका देखती हैं। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो उन अवसरों पर मुख्य अतिथि या मुख्य वक्ता बन कर जाएँ और भाषण झाड़ें।

बचे टीवी चैनल वाले। अगर उस दिन कोई हत्या, अपहरण या दुर्घटना नहीं हुई हो तो फिर पूरे उत्साह से आपको उस दिवस के अवसरों पर हुए कार्यक्रमों का कवरेज दिखाएँगे। यदि समाचारों का एकदम ही अकाल हो तो उस अवसर पर किसी की मुलाकात या परिचर्चा भी उस विषय पर दिखा देंगे।

कुछ दिवस उनसे भी बढ़कर होते हैं जब ग्रीटिंग कार्ड और कभी-कभी फूल भी देने का रिवाज बना दिया जाता है। जैसे विश्व माता दिवस-आप अपनी माँ से प्यार करते हैं यह जाहिर करने के लिए कार्ड खरीदिए। आप यह न समझें कि मैं बजरंग दल या उस तरह की विचारधारा का समर्थन कर रहा हूँ। पर इतने सारे दिवसों के बारे में सुन-सुन कर पक जरूर गया हूँ इसलिए नितांत आवश्यकता है कि एक दिन 'विश्व कुछ नहीं दिवस' के रूप में मनाया जाए।

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सुबह अखबार वाले आपको बताएँ कि देशवासियों आज कोई खास दिवस नहीं है, उठिए और अपने-अपने रोजाना के काम पर लगिए। रेडियो जब आप लगाएँ तो सुनें कि आज फोन करने की जरूरत नहीं है, यह आम दिवस है। आयोजन करने वाले संस्थान और भाषण करने की आदत वाले लोग एक दिन का परहेज करें। शाम को जब आप टीवी लगाएँ तो किसी संगोष्ठी का कवरेज ना देखने को मिले।

कितना शांत-सा होगा वह दिवस? पर हमारे उत्सवधर्मी देश में क्या यह संभव हो पाएगा?हो सकता है कि एफएम रेडियो वाले जॉकी आप को फोन करने आग्रह करें, 'मुझे फोन कीजिए कि आप किस तरह से कुछ नहीं कर आज का दिन बिताएँगे?' हो सकता है कि कई संस्थाएँ इस दिवस को भी मनाने के लिए आगे आएँ। ऐसे कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता भाषण दें कि कैसे कुछ नहीं करके उन्होंने इतना नाम कमाया। और ऐसे लोगों की हमारे यहाँ कमी नहीं है।

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